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Ram Mandir Ayodhya 22 January 2024

नमस्कार दोस्तों,

आप सब का स्वागत है हमारे इस वेबसाइट पर तो आज हम आपके साथ राम मंदिर से जुड़ी सारी बाते साझा करेंगे। तो आइए जानते है राम मंदिर की सारी जानकारियां।

Ram mandir

राम मंदिर, जिसे लोकप्रिय रूप में अयोध्या राम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, अयोध्या, उत्तर प्रदेश में स्थित एक हिंदू मंदिर है। अयोध्या राम मंदिर भारत में एक प्रसिद्ध और चर्चित मंदिर है।

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह मंदिर भगवान श्री राम को समर्पित है और ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण राम जन्मभूमि (भगवान श्री राम की जन्मस्थली) पर किया गया है।

अयोध्या विवाद लगभग 1858 में शुरू हुआ था। पहला मामला 1885 में दर्ज किया गया था। 1989 में विश्व हिंदू परिषद (VHP) द्वारा उसी स्थान पर ‘शिलान्यास’ किए जाने के बाद मुख्य आग भड़की थी।

राम मंदिर अयोध्या से जुड़ी घटनाएं और मामले को सुलझाने का संघर्ष एक राजनीतिक एजेंडा बन गया। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थान को राम मंदिर के नाम करके इस मामले को खत्म कर दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या में राम लला मंदिर का शिलान्यास किया। पूर्व निर्धारित तिथि के अनुसार राम मंदिर ‘प्रण प्रतिष्ठा’ समारोह 22 जनवरी, 2024 को आयोजित किया जाएगा। इससे राम मंदिर के द्वार लोगों के लिए खुल जाएंगे।

अयोध्या में राम मंदिर को आवंटित भूमि 2.7 एकड़ है, जिससे राम मंदिर निर्मित क्षेत्रफल 57,400 sq ft है। मंदिर 360 ft लंबा, 235 ft चौड़ा और 161 ft ऊंचा है।

यह मंदिर हिंदुओं के लिए एक महान पर्यटक आकर्षण और तीर्थ स्थान बनेगा। यह राम मंदिर भगवान राम से जुड़ी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को दर्शाता है और हिंदुओं के लिए अत्यधिक सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व को प्रदर्शित करता है।

Ram mandir की मुख्य बातें

  • मंदिर के मुख्य गर्भगृह में श्री राम लाल (भगवान राम का बाल रूप) की मूर्ति होगी।
  • ताल पर श्रीराम का दरबार होगा।
  • अयोध्या राम मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या शहर में स्थित है।
  • मंदिर परिसर में सीता कुंड नामक एक पवित्र कुंड भी होगा।
  • जटायु की एक प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी।
  • मंदिर में तीन मंजिल है।
  • प्रत्येक मंजिल कि ऊंचाई 20 फीट है।
  • मंदिर के Ground floor पर 160 स्तंभ है, First floor पर 132 स्तंभ है, और दूसरी मंजिल पर 74 स्तंभ है।
  • मंदिर में पांच मंडप है।
  • नृत्य मंडप
  • रंग मंडप
  • सभा मंडप
  • प्रार्थना मंडप
  • कीर्तन मंडप।
  • मंदिर में 12 दरवाजे हैं।
  • परिकोटा के चारों कोनों पर सूर्य देव, मां भगवती, भगवान गणे,श और भगवान शिव को समर्पित कर मंदिरों का निर्माण किया जाएगा।
  • उत्तर दिशा में देवी अन्नपूर्णा का मंदिर होगा और दक्षिण दिशा में भगवान हनुमान का मंदिर होगा।

राम मंदिर के निर्माण में उपयोग होने वाली सामग्री :

  • रोल्ड कंपैक्टेड कंक्रीट (Rolled Compacted Concrete)
  • गुलाबी बलुआ पत्थर (Pink Sand Stone)
  • ग्रेनाइट पत्थर (Granite Stone)
  • शालिग्राम शिला (Shaligram Rock)
  • तांबे की प्लेटे (Copper Plate)
  • सोना और अष्टधातु (Gold & Ashtdhatu)
  • सागौन की लकड़ी (Teakwood)

राम मंदिर के महत्वपूर्ण तथ्य:

  • मुख्य वास्तुकार: चंद्रकांत बी. सोमपुरा (CBS)
  • निर्माण कंपनी: लार्सन एंड टुब्रो (L&T)
  • परियोजना प्रबंधन कंपनी: टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड (TCEL)
  • डिज़ाइन सलाहकार: IIT चेन्नई, IIT बॉम्बे, IIT गुवाहाटी, CBRI रुड़की, SVNIT सूरत, NGRI हैदराबाद
  • मूर्तिकार: अरुण योगीराज (मैसूर), गणेश भट्ट और सत्यनारायण पांडे
  • मंदिर क्षेत्रफल: 2.7 एकड़
  • मंदिर के लंबाई – 380 फीट ,
  • मंदिर के चौड़ाई – 250 फीट,
  • मंदिर के ऊँचाई – 161 फीट ।
  • निर्माण शैली: भारतीय नागर शैली

राम मंदिर का इतिहास:

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना में से एक है। राम जन्मभूमि के पवित्र स्थल पर निर्मित, इस मंदिर का अत्यधिक सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक रूप से महत्व है।

इस मंदिर के निर्माण की यात्रा राष्ट्र के जटिल सामाजिक राजनीतिक परिदृश्य को दर्शाती है। अयोध्या विवाद की जड़ें इतिहास की गहराइयों में समा गई हैं, विवादित स्थल को भगवान राम का जन्म स्थान माना जाता है I

भूमि को लेकर हुए कानूनी और राजनीतिक संघर्ष का समापन 2019 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के साथ हुआ, जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थान को राम मंदिर के नाम करके इस मामले को खत्म कर दिया और राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया ।

मंदिर का स्थापन में नागर शैली का अनुसरण करता है, जो जटिल शिल्प कौशल और डिजाइन का दर्पण प्रस्तुत करता है। ऊंचे शिखर मंदिर की भव्यता में चार चांद लगाते हैं।

निर्माण प्रक्रिया में पारंपरिक और आधुनिक तकनीकों का मिश्रण और प्रगति के सम्मिश्रण का प्रतीक है।यह राम मंदिर का निर्माण केवल एक धार्मिक उपक्रमही नहीं है, बल्कि वर्षो से चले आ रहे विवाद के खत्म होने का प्रतीक भी है।

यह मंदिर एक आशा की किरण बनकर उभर रहा है, जो राष्ट्रीय गौरव और एकजुटता की भावना को बढ़ावा दे रहा है। मंदिर के निर्माण के पूरा होने से दुनिया भर के भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करने की उम्मीद है, जिससे अयोध्या एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में बन जाएगा।

बहुत सारे भक्तों का सपना अब सच होने जा रहा है। 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर का उद्घाटन होगा, उस दिन पूरे UP में चक्काजाम वाली भीड़ होगी इसीलिए आप लोग उसे अपने Television या phone पर ही live देखे। बहुत ज्यादा भीड़ के कारण आप अयोध्या जाने का प्लान कुछ दिन बाद का करें। हमारे माननीय पीएम मोदी ने भी हमसे अनुरोध किया है कि आप सब घर से ही लाइव देखे ज्यादा लोग न आए।

राम मंदिर कि इतनी बातें हो ही रही है तो क्यों न रामायण को लव – कुश के गाने के द्वारा एक छोटा सा संगीत के लिरिक्स के द्वारा पूरा रामायण का स्मरण कर लिया जाए।

“Hum Katha Sunate” lyrics in Hindi (“हम कथा सुनाते” लिरिक्स इन हिंदी) :

श्लोक: ओम श्री महागणाधिपतये नमह (नमः),

     ओम् श्रीं उमामहेश्वराभ्यां नमह (नमः),

वाल्मीकि गुरु देव ने,

कर पंकज तिर नाम,

सुमिरे मात सरस्वती ,

हम पर हो सहाय,

मात पिता की वन्दना,

करते बारम बार,

गुरु-जन राजा प्रजा जन,

नमन करो स्वीकार,

हम कथा सुनाते, रामसकल गुण धाम की,
हम कथा सुनाते, रामसकल गुण धाम की,

ये रामायण है, पुण्य कथा श्री राम की,

 
जम्बू द्वीपे भारत खण्डे, आर्यावर्ते भारत वर्षे,
एक नगरी है विख्यात, अयोध्या नाम की,
यही जनम भूमि है, परम पूज्य श्री राम की,
हम कथा सुनाते, रामसकल गुण धाम की,
ये रामायण है, पुण्य कथा श्री राम की,
ये रामायण है, पुण्य कथा श्री राम की,

रघुकुल के राजा धर्मात्मा, चक्रवर्ती दशरथ पुण्यात्मा,
संतति हेतु यज्ञ करवाया, धरम यज्ञ का शुभ फल पाया,
नृप घर जन्मे चार कुमारा, रघुकुल दीप जगत आधारा,
चारों भ्रातों के शुभ नाम, भरत शत्रुघ्न लक्षमण राम,

गुरु वशिष्ठ के गुरुकुल जाके, अल्प काल विद्या सब पाके,
पूरण हुई शिक्षा, रघुवर पुराण काम की,
हम कथा सुनाते, राम सकल गुण धाम की,
यह रामायण है, पुण्य कथा श्री राम की,
यह रामायण है, पुण्य कथा श्री राम की,

मृदु स्वर कोमल भावना, रोचक प्रस्तुति ढंग,
एक एक कर वर्णन करे, लव कुश राम प्रसंग,
विश्वामित्र महामुनि राई, तिनके संग चले दोउ भाई,
कैसे राम तड़का मारी, कैसे नाथ अहिल्या तारी,

मुनिवर विश्वामित्र तब, संग ले लक्ष्मण राम,
सिया स्वंवर देखने, पहुंचे मिथिला धाम,

जनकपुर उत्सव है भारी,
जनकपुर उत्सव है भारी,
अपने वर का चयन करेगी, सीता सुकुमारी,
जनकपुर उत्सव है भारी,

जनक राज का कठिन प्रण, सुनो सुनो सब कोई,
जो तोड़े शिव धनुष को, सो सीतापति होये,

जो तोड़े शिव धनुष कठोर, सब की दृष्टी राम की ओर,
राम विनयगुण के अवतार, गुरुवर की आज्ञा शिरोधार्य,
सहज भाव से शिव धनु तोड़ा, जनक सुता संग नाता जोड़ा,
रघुवर जैसा और न कोई, सीता की समता नहीं होई,
दोउ करे पराजित कांति कोटि रति काम की,
हम कथा सुनाते, राम सकल गुण धाम की,
यह रामायण है, पुण्य कथा सिया राम की,

सब पर शब्द मोहिनी डाली, मंत्र मुघ्द भये सब नर नारी,
यूँ दिन रेन जात हैं बीते, लव कुश ने सबके मन जीते,

वन गमन, सीता हरण, हनुमत मिलन, लंका दहन, रावण मरण,अयोध्या पुनरागमन।

सब विस्तार कथा सुनाई, राजा राम भये रघुराई,
राम राज आयो सुख दायी,सुख सृमद्धि श्री घर घर आयी,

काल चक्र ने घटना क्रम में,ऐसा चक्र चलाया,
राम सिया के जीवन में, फिर घोर अँधेरा छाया,

अवध में ऐसा, ऐसा एक दिन आया,
निष्कलंक सीता पे प्रजा ने, मिथ्या दोष लगाया,
अवध में ऐसा, ऐसा एक दिन आया,

चल दी सिया जब तोड़कर, सब स्नेह नाते मोह के,
पाषाण हृदयो में न, अंगारे जगे विद्रोह के,
ममतामयी माओं के, आँचल भी सिमट कर रह गए,
गुरुदेव ज्ञान और नीति के, सागर भी घट कर रह गए,

न रघुकुल न रघुकुल नायक, कोई न हुआ सिया सहायक,

मानवता को खो बैठे जब, सभ्य नगर के वासी,
तब सीता को हुआ सहायक, वन का एक सन्यासी,

उन ऋषि परम उदार का, वाल्मीकि शुभ नाम,
सीता को आश्रय दिया, ले आये निज धाम,

रघुकुल में कुलदीप जलाये, राम के दो सुत सिया ने जाएँ,

श्रोतागण, जो एक राजा की पुत्री है, एक राजा की पुत्रवधु है, और एक चक्रवर्ती सम्राट की पत्नी है, वोही महारानी सीता, वनवास के दुखो में, अपने दिनों कैसे काटती है, अपने कुल के गौरव और, स्वाभिमान की रक्षा करते हुए, किसी से सहायता मांगे बिना, कैसे अपना काम वोह स्वयं करती है, स्वयं वन से लकड़ी काटती है,
सवयं अपना धान काटती है, स्वयं अपनी चक्की पीसती है, और अपनी सन्तानो को, स्वावलम्बी बनने की, शिक्षा कैसे देती है, अब उनकी करुण झानी देखिये।

जनक दुलारी कुलवधू दशरथ जी की,
राज रानी हो के दिन वन में बिताती है,
रहती थी घेरे जिसे,दास दासिया आठोयाम,
दासी बनी अपनी, उदासी को छुपाती है,
धरम प्रवीण सती,परम कुलीना सब,
विधि दोष हिना, जीना दुःख में सिखाती है,
जगमाता हरी प्रिया लक्ष्मी स्वरूप सिया,
कूटती है धान भोज स्वयं बनाती है,
कठिन कुल्हाड़ी लेके लकड़ियां काटती है,
करम लिखे को पर काट नहीं पाती है,
फूल भी उठाना भारी जिस सुकुमारी को था,
दुःख भरी जीवन का बोझ वो उठाती है,
अर्धागिनी रघुवीर की वोह धरे धीर,
भरती है नीर नीर जल में नहलाती है,
जिसके प्रजा के अपवादों, के कुचक्रो में,
पीसती है चक्की, स्वाभिमान बचाती है,
पालती है बच्चौं को, वो कर्मयोगी की भाति,
स्वाभिमानी, स्वावलम्बी, सफल बनाती है,
ऐसी सीता माता की परीक्षा लेते दुःख देते,
निठुर नियति को दया भी नहीं आती है,

ओ ओ उस दुखिया के राज दुलारे, हम ही सुत श्री राम तिहारे,
ओ सीता मा की आँख के तारे, लव कुश है पितु नाम हमारे,
हे पितु भाग्य हमारे जागे, राम कथा कही राम के आगे।

Conclusion:

धार्मिक आस्था का प्रतीक होने के साथ-साथ, श्री राम मंदिर एक अद्भुत वास्तुशिल्प कृति भी है। भारत की आध्यात्मिक विरासत और भगवान राम की अमर प्रसिद्धि के जीवित प्रमाण के रूप में, यह मंदिर अयोध्या को भारत की आध्यात्मिक राजधानी बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। तो उम्मीद करते है आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी।

तो दोस्तों मुझे उम्मीद है इस पोस्ट को पढ़कर आपको बहुत सघर्ष के बाद राम मंदिर बना और 22 जनवरी 2024 को उद्घाटन हुआ, इस पोस्ट के द्वारा हम राम मंदिर का सारा details आपके साथ साझा किए। अगर फिर भी कोई question है तो हमें commnet में जरूर बताएं।

आपको जानकारी कैसी लगी कमेंट में जरूर बताएं अगर कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट करें। यदि आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों में जरूर share करें।

धन्यवाद!

Randheer Rawat
Randheer Rawat
नमस्कार दोस्तों, मैं रणधीर रावत Hindiradio.in का Technical Author हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक B.com Graduate हूँ. मुझे नयी नयी चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा अच्छा लागता है.
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