उत्तराखंड सरकार ने IIT रुकड़ी द्वारा विकसित देश की पहली भूकंप पूर्व चेतावनी मोबाइल एप्लीकेशन उत्तराखंड भूकंप अलर्ट लॉन्च किया है। भूकंप अलर्ट के बारे में लोगों को सूचित करने वाला देश का पहला प्रयोग है। इस तरह के तकनीक का प्रयोग जापान ,USA तथा मेक्सिको जैसे देशों में पहले से हो रहा है।
भूकंप चेतावनी ऐप के बारे में जानकारी :-
“Earthquake early warning application” एक रियल टाइम भूकंप सूचना प्रणाली है! जो भूकंप की शुरुआत का पता लगा सकती है। किसी क्षेत्र में झटके आने से पहले ही चेतावनी जारी करता है। भूकंप के बाद तबाही में फंसे लोगों की लोकेशन बताने में भी मदद कर सकता है। इस प्रणाली का आधार भूकंपीय तरंगों की गति है जिनका प्रसार पृथ्वी के आंतरिक भाग में संचित होने वाले ऊर्जा का अचानक मुक्त से होता है।
इस कार्यक्रम का शुरुआत उत्तराखंड के “गढ़वाल क्षेत्र” के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा एक पायलट परियोजना के रूप में की गई थी।
Note:- पायलट परियोजना का अर्थ किसी परियोजना का शुरुआती प्रयोग जोकि छोटे स्तर पर किया जाता है ताकि पता लग सके कि काम कितना असरदार है।
लेकिन इसकी सफलता और क्षेत्र की जरूरत को देखते हुए आईआईटी रुकड़ी ने इस परियोजना प्रस्ताव को पूरे उत्तराखंड में लागू किया। यह एप्लीकेशन Android और IOS दोनों में काम करता है। इस योजना का विकास “उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण” द्वारा प्रायोजित किया गया था।
भूकंप चेतावनी ऐप काम कैसे करता है ?
इसके लिए आईआईटी ने 200 earthquake sensor को main central thrust(MCT) में लगाया। जोकि महान हिमालय और निम्न हिमालय के बीच में पड़ता है। उत्तराखंड इसी क्षेत्र में पड़ता है यहां पर बहुत अधिक भूकंप आता है। यह Sensor P wave को पहचान लेता है तथा इसकी सूचना कंट्रोल सेंटर को देता है। करीब 15 सेकंड पहले app यूजर को भूकंप की सूचना मिलती है।15 सेकंड के बाद यूजर के मोबाइल पर दो बटन indicate होता है, Red & Green. Red वाला button “l need for help” तथा Green button “I am safe” को सूचित करता है।जो मुसीबत में होता है वह रेड बटन क्लिक करता है इससे आसपास के app यूजर को इसके मुसीबत में होने की सूचना, location के साथ मिल जाती है जिससे वह लोग इसकी सहायता कर सकते हैं।
भूकंप कैसे आता है ?
पृथ्वी की परत जिस पर हम लोग रहते हैं इसकी मोटाई करीब 100 किलोमीटर है। जहां थोड़ा कम मोटाई है वहां महासागर और जहां थोड़ा ज्यादा है वहां पर पर्वत पठार है। परत के नीचे यह कई प्लेटों में विभाजित है जिनमें 7 बड़े प्लेट है तथा कई छोटे प्लेट है! प्लेट हमेशा गतिमान रहते हैं जिससे एक दूसरे के टकराने से भूकंप उत्पन्न होता है।
◆ सबसे अधिक भूकंप प्रशांत प्लेट में आता है क्योंकि इसका जुडाव सार्वधिक प्लेटो से है। भारत में भूकंप Indo Australia plate का Eurasian plate से टकराने से होता है।
◆ भूकंप जिस स्थान से उठता है उसे मूल (focus) कहते हैं तथा पृथ्वी की सतह पर जिस स्थान पर सबसे पहले पहुंचता है उससे अधिकेंद्र (epicenter) कहते हैं।
◆ भूकंप आने के बाद सबसे पहले P wave (primary) उठता है ! यह बहुत ही तेज होता है तथा इससे कम हानि होती है।यह तरंग तीनों माध्यम में विचरण कर सकता है। यह longitudinal wave होता है।
◆ इसके बाद S wave (secondary) उठता है। यह P की अपेक्षा कम तेज तथा अधिक हानि करता है।
यह transverse wave होता है। यह liquid में विचरण नहीं कर सकता है।
◆ इसके बाद L wave/Love wave होता है जो कि पृथ्वी की सतह पर होता है यह सबसे कम तेज तथा सबसे अधिक हानि करता है।
भूकंप का अध्ययन सीस्मोलॉजी द्वारा तथा इसे सिस्मोग्राफ पर दर्शाया जाता है! इस को मापने के लिए रिक्टर स्केल का प्रयोग किया जाता है।
बचाव/सावधानियां –
भूकंप से बचाव के लिए भूकंप के समय किसी मजबूत चीज के नीचे छुप जाना चाहिए जैसे कि मेंज, पलंग, चौकी आदि एवं घरों के निर्माण के समय भूकंप रोधी क्षण का इस्तेमाल करना चाहिए।