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Project-75 kya hai |प्रोजेक्ट -75 क्या है, उद्देश्य, क्रियान्वयन ?

क्या आप प्रोजेक्ट 75 क्या है उसके ऊपर जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। यदि हां तो आज के इस लेख में हम आपको प्रोजेक्ट 75 से संबंधित पूरी जानकारी देंगे।

प्रोजेक्ट 75 क्या है?

प्रोजेक्ट 75 रणनीतिक साझेदारी मॉडल के अंतर्गत स्वदेशी निर्माण बढ़ावा देने एंव समुद्री ताकत बढाने के क्षेत्र में यह देश की पहली परियोजना है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, ने 30 साल पुरानी पनडुब्बी योजना को अपने कार्यकाल में मंजूरी प्रदान की थी। भारत को दुशमनों से सुरक्षित रखने लगातार प्रयास किया जाता रहा है। और इस दिशा में अपनी सेना की क्षमता को बढ़ाने के लिए लगातार कार्य किया जाता रहा है। ताकि हमारे देश को पाकिस्तान और चीन जैसे देशों से बचाया जा सके। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही प्रोजेक्ट 75 के अलावा एक और प्रोजेक्ट 17 भी बनाया गया, 24 सबमरीन को रक्षा मंत्रालय ने 1997 में अधिग्रहण करने की योजना को मंजूरी दिया था।

प्रोजेक्ट 75 का प्रस्ताव भारतीय नौसेना की ओर से आया था। यह भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अत्यधिक महत्वपूर्ण कदम है।

प्रोजेक्ट 75 का उद्देश्य और इसका महत्व

प्रोजेक्ट 75 का उद्देश्य, देश को आत्मनिर्भर बनाने और प्रशांत महासागर में अपनी ताकत मजबूत करने तथा चीन और पाकिस्तान जैसे देशों से भारत को सुरक्षित रखना ही प्रोजेक्ट- 75 का उद्देश्य है। प्रोजेक्ट- 75 राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय दृष्टि से अपना महत्व रखता है।

भारत के पड़ोसी देश अपने पनडुब्बी योजनाओं का लगातार विस्तार जिस तेजी से कर रहे हैं । ऐसे समय में समुद्र में अपनी ताकत बढ़ाना बेहद जरूरी हो गया है। यह सभी 06 पनडुब्बियां उन्नत तकनीक से लैंस होंगी। इसमें एयर इंडिपेंडेंस ओवर प्रोपल्शन सिस्टम लगी होंगी। जो कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को सुनिश्चित करती है । यह पनडुब्बी लंबे समय तक पानी के नीचे छिपी रहकर वार करने में सक्षम होगी। समुंद्री सतहों पर अपनी ताकत बढ़ाने, अपने विरोधी देशों से सुरक्षा के मद्देनजर प्रोजेक्ट 75 का उद्देश्य काफी बढ़ जाता है।

Project 75 की संपूर्ण जानकारी

1- रक्षा मंत्रालय ने 24 सबमरीन को अधिग्रहण करने की योजना को मंजूर किया था जोकि 1997 मे हुआ था और इसी को आगे चल कर प्रोजेक्ट 75 का नाम दिया गया था।

2- प्रोजेक्ट 75 के अंतर्गत आत्मनिर्भर भारत को बनाने की दिशा में कदम उठाते हुए 06 पनडुब्बियों का निर्माण किया जाएगा। जिससे भारतीय सैन्य ताकतों में इजाफा होगा, ये सभी 06 पनडुब्बी परमाणु हथियारों से पुर्ण होगी।

3- प्रोजेक्ट- 75 के अंतर्गत 06 पनडुब्बियों के निर्माण में भारतीय नौसेना के सूत्र अनुसार लगभग 10 साल का समय लग सकता है जिसमें करीब 5000 करोड़ रुपए की लागत आएगी।

4- इन सभी सबमरीन में एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम लगा होगा, जिसकी मदद से सबमरीन बिना सतह पर आए, ज्यादा वक्त तक, पानी के अंदर छिपाकर रखा जा सकता है।

5- इस प्रोजेक्ट के लिए मझगांव डाक्स और ऐंड टी प्राईवेट शिपयार्ड को चुना गया है।

6- प्रोजेक्ट 75 भारत में ‘मेक इन इंडिया’ की सभी बड़ी परियोजनाओं में से एक है।

7- हिंद महासागर को भविष्य में विरोधियों के दखल से,बचाने के लिए समुद्री ताकत की वृद्धि करनी आवश्यक हो गया था , इसलिए प्रोजेक्ट 75 को मंजूर किया गया।

8- 2028 तक 24 परंपरागत पनडुब्बी का निर्माण किये जाने का लक्ष्य रखा गया है।

9- यह सभी पनडुब्बी ,नाभिकीय पनडुब्बी की तरह ही पानी के नीचे काफी वक्त तक छिप कर रह सकती हैं। यह बहुत कम आवाज भी करेगी जिससे पानी की सतह में रहकर यह बड़ी आसानी से अपने दुश्मनों का सामना कर सकती है।

10- प्रोजेक्ट 75 रणनीतिक साझेदारी की नीति के तहत रक्षा मंत्रालय की ओर से यह पहला सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है।

11- वायु स्वतंत्र प्रयोदन प्रणाली से लैंस 06 पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण की परिकल्पना कि गयी है।

12- प्रोजेक्ट-75 , 2007 में स्वीकृत स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण के लिये भारतीय नौसेना हेतु 30 वर्षीय योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

13- आयात पर निर्भरता को कम करने तथा धरेलु निर्माताओं को हाई- एड मिलिट्री प्लेटफार्म का उत्पादन करने के लिये विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ हाथ मिलाने की सहमति देता है।

14- ‘मेक इन इंडिया’ विदेशी मूल उपकरण निर्माता (OEM) के साथ निजी फर्मो की भागीदारी सुनिश्चित करता है।

15- Present में भारत के पास केवल एक परमाणु पनडुब्बी N.R.S अरिहंत है।

प्रोजेक्ट 75 के आने से हुई ताक़त में बढ़ोतरी

प्रोजेक्ट 75 के आने से चीन को लेकर सीमा विवाद के मामले , और उससे उत्पन्न तनाव को कम करने में मदद मिलेगी , इस क्षेत्र में भारत सरकार लगातार काम कर रही है।

आकाश और धरती पर अपनी ताकत बढ़ाने के लिए तथा समुद्री सतह पर भी अपनी सुरक्षा घेरे को मजबूत बनाने के लिए काम कर रही है। भारतीय नेवी को स्कॉर्पीन पनडुब्बी मिलने से ताकत में इजाफा हुआ है। जिसका नाम INS वागीर है।

Conclusion (निष्कर्ष)

आज के इस लेख में हमने प्रोजेक्ट 75 से संबंधित पूरी जानकारी प्राप्त करी है। हम उम्मीद करते हैं आपको हमारे द्वारा लिखा गया ये लेख पसंद आया होगा। यदि पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर अवश्य करें।

FAQ

Q1- प्रोजेक्ट 75 क्या है?

Ans- प्रोजेक्ट- 75 के अंतर्गत, भारत अगली पीढ़ी को देशी पनडुब्बियों का निर्माण करेगा। रक्षा मंत्रालय, के द्वारा 24 सबमरीन को, अधिग्रहण करने की योजना को मंजूरी दिया गया, यह प्रोजेक्ट 75 है।

Q2- स्कॉर्पीन पनडुब्बी क्या है?

Ans- डीजल इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बियों का यह एक वर्ग है। जिसे संयुक्त रुप से नेवल ग्रुप और स्पेनीश फर्म द्वारा विकसित किया गया, यही स्कॉर्पियन श्रेणी की पनडुब्बी होती है।

Q3- भारत के पास कितने पनडुब्बी हैं?

Ans- भारत के पास कुल 15 पनडुब्बी है।

Q4- INS वागीर क्या है?

Ans- INS वागीर छै: कलवरी श्रेणी की, पनडुब्बियों के पहले बैच की पांचवी पनडुब्बी है। जिसका नाम मछली के नाम पर वागीर नाम रखा गया है।

Q5- स्कॉर्पियन श्रेणी क्या है?

Ans- होरोस्कोप को स्कॉर्पियन श्रेणी के नाम से जाना जाता है। इसे हिंदी में कर्क राशि कहा जाता है।

Q6- सबमरीन क्यों जरूरी है?

Ans- वर्तमान में भारत को कम से कम 18 पारंपरिक पनडुब्बियाँ , 06 एस. एस .एन और 4 परमाणु संचालित परमाणु पनडुब्बियों की अत्यधिक जरूरत है। क्योंकि पिछले कुछ समय से हिंद महासागर युद्ध पोतों की चहल कदमी बढ़ गई है। P-75 के अंतर्गत, अभी पहली पनडुब्बी को रोल करने में ही कम से कम 10 साल तक का समय लग जाएगा, भारतीय नेवी के पास अभी केवल 12 ही डीजल इलेक्ट्रॉनिक पनडब्बियाँ है। जो कि पुरानी हो गई है।

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