NATO (North Atlantic Treaty Organization) का अर्थ होता है “उत्तर अटलांटिक संधि संगठन”। यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो 1949 में स्थापित किया गया था। NATO का मुख्य उद्देश्य उत्तर अटलांटिक क्षेत्र की सुरक्षा और संरक्षण है।

नाटो क्या है? (NATO KYA HAI)
नाटो एक संगठन है, जिसका नाम N- North, A- Atlantic, T- Treaty, O- Organization, North Atlantic Treaty Organization है। नाटो की स्थापना 4 अप्रैल 1949 में हैरी ट्रूमैन ने किया था। जो पूर्व में अमेरिका के राष्ट्रपति रह चुके थे। इसका मुख्यालय बुसेल्स बेल्जियम है। नाटो में पहले 30 देश शामिल था। लेकिन अब 31 देश शामिल हो गया है और 31वां देश का नाम है मैसिडोनिया। अमेरिका नाटो का प्रमुख देश है।
NATO का फुल फॉर्म
NATO का फुल फॉर्म North Atlantic Treaty Organization (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) है और हिंदी में इसे उत्तर अटलांटिक संधि संगठन के नाम से जाना जाता है। पहले इस में कुल 30 देश शामिल थे। लेकिन अब इन शामिल देशों की संख्या 31 हो गई है।
NATO में कुल शामिल देशों के नाम
(1) अल्बानिया
(2) बुल्गारिया
(3) बेल्जियम
(4) कनाडा
(5) क्रोएशिया
(6) चेक रिपब्लिक
(7) एस्तोनिया
(8) डेनमार्क
(9) जर्मनी
(10) फ्रांस
(11) हंगरी
(12) आइसलैंड
(13) यूनान
(14) इप्ली
(15) लातविया
(16) लिथुआनिया
(17) लक्समबर्ग
(18) मोटेनेग्रो
(19) नीदरलैंड
(20) मैसेडोनिया
(21) नॉर्वे
(22) पोलैंड
(23) पुर्तगाल
(24) रोमानिया
(25) स्लोवेनिया
(26) स्लोवाकिया
(27) स्पेन
(28) तुर्की
(29) यूनाइटेड किंगडम
(30) संयुक्त अमेरिका
(31) फिनलैंड
नाटो का उद्देश्य
नाटो किसी भी संयुक्त कार्रवाई में नाटो विवादों के शांतिपूर्ण समाधान करने के लिए प्रतिबंध है। इसका मुख्य उद्देश्य है कि सभी सदस्यों में विश्वास बनाए रखना और उनकी समस्या का समाधान करना। इसका मतलब यह हुआ कि राजनीति और सैन्य माध्यमों से अपने सदस्यों को सुरक्षा पहुंचाना और उसकी स्वतंत्रता की गारंटी देना। यदि किसी भी कारणवश से राजनीतिक प्रयास असफल हो जाता है तो उसके पास संकट प्रबंधन कार्यों को करने के लिए सैन्य शक्ति होती है।
NATO का इतिहास
1945 में द्वितीय विश्व युद्ध हुआ था। उस विश्वयुद्ध में काफी क्षति हुई, सभी देशों का काफी नुकसान हुआ। जैसे तैसे करके जब विश्वयुद्ध खत्म हुआ। उस समय सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका महाशक्तिशाली देश बन गया था। इस कारण से यूरोप में खतरे की संभावना काफी ज्यादा बढ़ गई थी। यह सारी घटनाओं को देखते हुए फ्रांस, ब्रिटेन, नीदरलैंड, बेल्जियम, लेक्समबर्ग देशों ने मिलकर एक संधि बनाई और इस संधि का नाम दिया बुसेल्स संधि। इस संधि के अनुसार योजना बनाया गया कि अगर किसी भी देश पर आक्रमण होता है तो यह सभी देश मिलकर एक दूसरे देश को सामूहिक रूप से सहायता प्रदान करेंगे। इसके अलावा सामाजिक और आर्थिक रूप से भी एक दूसरे का सहयोग करेंगे।
अमेरिका ओर भी ज्यादा शक्तिशाली देश बनाने के लिए सोवियत संघ की घेराबंदी करने लगा था। ताकी सोवियत संघ का प्रभाव खत्म हो जाए। और अमेरिका शक्तिशाली देश बनने में सफल हो सके। इसलिए अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 15 के तहत उत्तर अटलांटिक संधि ने एक प्रस्ताव रखा। इस संधि की शुरुआत 1949 में हुआ और दुनिया के 12 देशों ने हस्ताक्षर किया। इसमें हस्ताक्षर करने वाला देश संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, नीदरलैंड, नार्वे, पुर्तगाल, बेल्जियम, आईसलैंड, लक्जमबर्ग, फ्रांस, कनाडा, इटली और डेनमार्क देश शामिल थे। इसके बाद वर्ष 2004 में 7 देश और जुड़ गए और सब मिलाकर 30 देशो का सदस्य बन गया। इसके बाद 6 फरवरी 2019 में एक और देश जुड़े जिसका नाम है मैसिडोनिया और अब नाटो के कुल 31 देश सदस्य हैं।
NATO की स्थापना कब और हुआ?
NATO की स्थापना 4 अप्रैल 1949 में हुआ था। इस संघ के अंतर्गत एक देश की सेना को दूसरे देश भेजा जाता है। जहां पर उन्हें इंटरनेशनल ट्रेडिंग ट्रेनिंग दी जाती है। और उन्हें यह भी बताया जाता है कि परिस्थिति चाहे जो भी हो उसे उस परिस्थिति से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहना है।
NATO की स्थापना क्यों हुई?
दूसरा विश्व युद्ध के बाद यूरोप की स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो गया था। यूरोप की आर्थिक स्थिति एकदम से गिर गया इस स्थिति के कारण नागरिक की जिंदगी पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा लोग अपना जीवन यापन करने के लिए जैसे-तैसे जिंदगी जीने के लिए मजबूर थे। ऐसी स्थिति देखने के बाद सोवियत संघ को मौका मिल गया। वह चाहता था कि तुर्की और ग्रीस में साम्यवाद को स्थापित करके वर्ल्ड के बिजनेस पर राज्य करें। उसकी यह सोच को अमेरिका ने बहुत अच्छी तरह से समझ गया लेकिन उसी दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डेलानो रूजवेल्ट का अचानक मृत्यु हो गया था।
जिसके वजह से उस समय वहां के राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन बने थे। बाद में ट्रूमैन के नाम पर ही यह नीति की नींव बन गया जिसका नाम ट्रूमैन सिद्धांत रखा गया। और 1949 में नाटो के गठन के लिए नेतृत्व किया, एक सैन्य गठबंधन जो अभी भी मौजूद है। इतिहासकार अक्सर ट्रूमैन के भाषण का इस्तेमाल शीत युद्ध की शुरुआत की तारीख तक करते हैं।ट्रूमैन ने कांग्रेस को बताया कि यह संयुक्त राज्य अमेरिका की नीति होनी चाहिए कि वे स्वतंत्र लोगों का समर्थन करें जो सशस्त्र अल्पसंख्यकों या बाहरी दबावों द्वारा अधीनता के प्रयास का विरोध कर रहे हैं। इस तरह नाटो की स्थापना हुई।