चर्चा में क्यों है ?
खेल के क्षेत्र में दिए जाने वाला सबसे बड़ा पुरस्कार अब हॉकी के भूतपूर्व खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के नाम से दिया जाएगा पहले यह पुरस्कार भारत के छठे प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर था! प्रधानमंत्री ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर दी।
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के बारे में जानकारी :-
यह पुरस्कार खिलाड़ियों को खेल के क्षेत्र में 4 साल उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया जाता है। यह पुरस्कार 1991-1992 मैं आरंभ हुआ। यह खेल रत्न राजीव गांधी के समय में चालू हुआ ,इसलिए बाद में उनके सम्मान में इस खेल पुरस्कार का नाम उनके नाम पर कर दिया गया। राजीव गांधी को 1982 में दिल्ली में हुए एशियन गेम के लिए भी जाना जाता है।
इस खेल की वजह से दिल्ली का infrastructure में काफी बदलाव आया। राजीव गांधी उस समय एशियन खेल समिति के एक सदस्य थे। इस पुरस्कार के लिए खिलाड़ी का चयन खेल समिति के सिफारिश पर खेल एवं युवा मंत्रालय द्वारा किया जाता है। यह पुरस्कार माननीय राष्ट्रपति के द्वारा दिया जाता है। इस पुरस्कार में एक मैडल एक प्रमाण पत्र तथा 750000 की राशि दिया जाता है।
नोट:- पुरस्कार राशि 2500000 कर दिया गया है, और मेडल पर हिंदी और इंग्लिश में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार लिखा होता था।
इस पुरस्कार के बारे में रोचक तथ्य:-
- यह पुरस्कार पहली बार 1991-92 में शतरंज के महान खिलाड़ी विश्वनाथ आनंद को दिया गया।
- इस पुरस्कार को पाने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी अभिनव बिंद्रा है! उन्हें यह पुरस्कार निशानेबाजी के क्षेत्र में दिया गया।
- इस पुरस्कार को पानी वाली पहली महिला कर्णम मल्लेश्वरी( 1994- 995 भार तोलन ) हैं।
- अब तक यह पुरस्कार 43 लोगों को दिया गया। समान्याता यह पुरस्कार एक बार में एक ही लोगों को दिया जाता है, परंतु कई बार एक से अधिक लोगों को भी दिया गया।
- एक बार में एक खेल से दो से अधिक खिलाड़ी को नहीं दिया जा सकता।
- इस पुरस्कार को पाने वाले अन्य खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ,पुलेला गोपीचंद, पीवी सिंधु ,सानिया मिर्जा, महेंद्र सिंह धोनी ,साक्षी मलिक मैरी कॉम बजरंग पूनिया हैं।
- 2020 में जो पुरस्कार 5 लोगको दिया गया रानी रामपाल, विनेश फोगाट मनिका बत्रा रोहित शर्मा ,मरियप्पा थंगा गुदम को दिया गया।
- अब तक या पुरस्कार क्रिकेट में चार लोगों को दिया गया।
मेजर ध्यानचंद एवं उनकी उपलब्धियां:-
मेजर ध्यानचंद को हॉकी के जादूगर कहा जाता था।
खेल के क्षेत्र में सबसे महान खिलाड़ी के रूप में जाना जाता है।
इनका जन्म 29 अगस्त 1905 को यूपी के इलाहाबाद में हुआ।
Note:- वर्तमान में इलाहाबाद का नाम प्रयागराज हैं।
इनके पिता ब्रिटिश सेना में एक सूबेदार थे।
स्कूली शिक्षा ज्यादा ना होने के कारण यह भी सिपाही में भर्ती हो गये।
बचपन से ही इन्हें हांकी से लगाव था, 1926 से 1949 तक कुल 400 अंतरराष्ट्रीय गोल किये।
इनके कारण ही हांकी उस समय अपने चरम स्तर पर था।
मेजर ध्यानचंद की अगुवाई में भारत नें 1928 ,1932 ,1936 के ओलंपिक गेम में स्वर्ण पदक जीता।
इनके जन्म दिवस 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है ! इसी दिन सभी खेल पुरस्कार वितरित किये जाते है।
इनके नाम पर एक और पुरस्कार ध्यानचंद लाइव टाइम अचीवमेंट अवार्ड है जो कि जीवन पर्यंत खिलाड़ियों द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन स्वरूप दिया जाता है। 2002 में 1 नेशनल स्टेडियम का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद स्टेडियम कर दिया गया।
उनके खेल को देखकर हिटलर ने उन्हें अपने टीम में शामिल करने एवं सेना में उच्च पद देने तथा जर्मनी की नागरिकता देने का भी प्रस्ताव रखा! जिसे उन्होंने ठुकरा दिया।
इनके गोल करने की अद्भुत प्रतिभा को देखकर नीदरलैंड में इनके हॉकी को तोड़कर देखा गया कि उसमें मैग्नेट तो नहीं है।
मेजर ध्यानचंद चांदनी रात में भी हॉकी खेलते थे, इसलिए इनके नाम में चंद शब्द जुड़ा।
इन्होंने 1956 को हॉकी के खेल से संयास ले लिया एवं इसके बाद हॉकी से संबंधित विभिन्न विभाग में कुछ समय तक जुड़े रहे
उनकी मृत्यु 30 दिसंबर 1979 को हुआ ।
इन्हें भारत के तीसरी सबसे बड़ा पुरस्कार पद्मभूषण दिया गया।
हम भारत सरकार से आशा करते हैं कि जल्द ही इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाए।
धन्यवाद!