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महात्मा गांधी के नेतृत्व में 6 प्रमुख आंदोलन|गांधी जी द्वारा चलाए गए स्वतंत्रता आंदोलन कौन-कौन से थे ?

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था इनका जन्म गुजरात के (पोरबंदर) में 2 अक्टूबर , 1869 को हुआ था इनके पिता का नाम श्री करमचंद गांधी और माता का नाम श्रीमती पुतलीबाई था इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था गाँधी जी ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से क़ानून की पढ़ाई पूरी की थी। महात्मा गाँधी जी गोपाल कृष्ण गोखले जी को अपना राजनितिक गुरु मानते थे। गाँधी जी ने अंग्रेजो से भारत को आज़ादी दिलाने के लिए असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन जैसे आंदोलन चलाये। गाँधी जी को बापू , महात्मा , राष्ट्रपिता आदि नामो से भी जाना जाता है आज के इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे गांधी जी द्वारा चलाए गए सभी आंदोलनों के बारे में , तो चलिए आज कुछ नया सीखते हैं –

◆ गांधी जी से जुड़ी प्रमुख घटनाएं

आन्दोलन/यात्रा/उपाधि वर्ष

  1. गांधी जी अफ्रीका गए 1893
  2. गांधी जी का पहला सत्याग्रह 1906
  3. गांधी जी पहली बार जेल गए 1908
  4. गांधी जी अफ्रीका से लौटे 1915
  5. साबरमती आश्रम की स्थापना 1916
  6. चंपारण सत्याग्रह 1917
  7. अहमदाबाद मजदूर आंदोलन 1918
  8. खिलाफत आंदोलन 1919
  9. असहयोग आंदोलन 1920
  10. असहयोग आंदोलन वापस 1922
  11. कांग्रेस की अध्यक्षता 1924
  12. दांडी यात्रा 1930
  13. सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930
  14. गांधी इरविन समझौता 1931
  15. द्वितीय गोलमेज सम्मेलन 1931
  16. पूना समझौता 1932
  17. हरिजन संघ की स्थापना 1932
  18. भारत छोड़ो आंदोलन 1942

◆ गांधी जी द्वारा देश को आजाद कराने के लिए चलाए गए विभिन्न आंदोलन एवं सत्याग्रह
◆ गांधी जी के जीवन से जुड़ी प्रमुख घटनाएं एवं तथ्य

◆ चंपारण सत्याग्रह (Champaran Satyagraha)

चंपारण आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन था जो बिहार के चंपारण जिले में महात्मा गांधी की अगुवाई में 19 अप्रैल , 1917 को शुरू हुआ था जो कि लगभग एक साल तक चला था इस आंदोलन के माध्यम से गांधी जी ने लोगों में जन्में विरोध को सत्याग्रह के माध्यम से लागू करने का पहला प्रयास किया जो ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम जनता के अहिंसक प्रतिरोध पर आधारित था ये आंदोलन किसानों के हक के लिए शुरू किया गया था जिसमें राजेंद्र प्रसाद , ब्रजकिशोर प्रसाद , अनुग्रह नारायण सिंह सिन्हा , रामनाथवी प्रसाद और जे.बी. कृपलानी समेत अन्य लोग भी शामिल थे चंपारण के किसानों पर हो रहे अत्याचार को देखते हुए महात्मा गांधी अपने कुछ सहयोगियों के साथ 10 अप्रैल , 1917 को चंपारण पहुंचे तो उन्होंने पाया कि वहां गांव के ज्यादातर लोग अशिक्षित थे यही कारण था कि यहां के जमींदारों द्वारा उनका शोषण किया जा रहा था इन्हीं तथ्यों को आधार बनाकर महात्मा गांधी ने गांव में निम्न विकास कराए –
● चंपारण में लोगों का अशिक्षित होने का सबसे प्रमुख कारण था कि वहां पर स्कूल नहीं थे इसके लिए महात्मा गांधी ने वहां पर स्कूल का निर्माण करवाया जिसका निर्माण कार्य लखन सेन गांव में पूरा हुआ था।

● इसके बाद महात्मा गांधी ने यहां के लोगों को आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाया और उन्हें साफ सफाई के बारे में संबोधित करते हुए गंदगी न फैलाने की अपील की।

● जिस समय महात्मा गांधी चंपारण आए हुए थे उन्होंने देखा कि वहां छुआछूत की भावना का विकास बहुत तेजी से हो रहा था जिसको समाप्त करने के लिए महात्मा गांधी ने कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर काम किया था।

● महात्मा गांधी के चंपारण पहुंचने पर यहां के मजिस्ट्रेट ने एक नोटिस जारी किया जिसमें लिखा गया था कि गांधी इस चंपारण में नहीं रह सकते और वो वापस लौट जाएं।

● लेकिन गांधी जी मजिस्ट्रेट के इस नोटिस को कहां मानने वाले थे और ऐसा ही हुआ महत्मा गांधी ने वापस जाने से इंकार कर दिया।

● इसके पश्चात महात्मा गांधी को अदालत में पेश किया गया और मजिस्ट्रेट द्वारा गांधी जी को एक पत्र लिखकर भेजा गया जिसमें लिखा था कि “यदि आप इस जिले को छोड़ देते हैं और वापस न लौटने का वादा करते हैं तो आपके खिलाफ दर्ज किया गया मुकदमा वापस ले लिया जाएगा”।

● लेकिन महात्मा गांधी ने उनकी एक बात भी नहीं मानी और मजिस्ट्रेट के इस पत्र का जबाब देते हुए गांधी जी ने कहा कि “मैं मानवता और राष्टीय सेवा प्रदान करने के लिए यहां आया हूं चंपारण मेरा घर है और में यहां के पीड़ित लोगों के लिए काम करूंगा” और इस प्रकार गांधी जी ने वहां से जाने से इंकार कर दिया।

● फिर किया था चंपारण के पुलिस प्रशासन द्वारा यहां अशांति पैदा करने और हिंसा को बढ़ावा देने के आरोप में गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया।

● इसके पश्चात जब ये बात किसानों को पता चली तो उन्होंने पुलिस स्टेशन सहित अन्य कई स्थानों पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया जिसके तत्पश्चात गांधी जी को यहां के पुलिस प्रशासन ने छोड़ दिया।

● इसी आंदोलन के दौरान संत राउत जी ने पहली बार महत्मा गांधी जी को “बापू” के नाम से पुकारा था और इसके बाद गांधी जी को बापू कहा जाने लगा।

◆ खेड़ा आंदोलन (Kheda Movement)

इस आंदोलन को मुख्य रूप से सरकार के खिलाफ शुरू किया गया था जब गुजरात का एक गाँव खेड़ा बुरी तरह बाढ़ की चपेट में आ गया। तो स्थानीय किसानों ने शासकों से कर माफ करने की अपील की। यहां गांधी ने एक हस्ताक्षर अभियान शुरू किया जहां किसानों ने करों का भुगतान न करने का संकल्प लिया जब 1918 में गुजरात के खेड़ा जिले में किसानों की फसलें नष्ट हो गईं लेकिन सरकार ने भू – राजस्व माफ करने से इंकार कर दिया तब गांधी जी ने सरदार बल्लभ भाई पटेल के साथ किसानों का समर्थन किया और उन्हें सलाह दी कि जब तक उनकी मांग पूरी न हो जाए तब तक राजस्व भुगतान को रोक दें और इस प्रकार ये आंदोलन जून , 1918 तक चला अंत में सरकार को किसानों की मांग पूरी करनी पड़ी खेड़ा सत्याग्रह में गांधी जी के अलावा कई नेता जैसे – सरदार बल्लभ भाई पटेल , निहारी पारीक , शंकर लाल बैंकर भाई पटेल , महादेव देसाई , इंदुलाल यज्ञिक , श्री मति अनुसुइया बहन और विठ्ठल भाई पटेल के साथ अन्य कई नेता भी शामिल थे।
● गांधी जी ने निष्पक्ष भाव से सभी किसानों से कहा कि मुझे वचन दें कि आप सत्याग्रह में मेरा साथ अंतिम क्षणों तक देंगे तभी मैं आपको आपके अधिकार दिला सकता हूं चाहें जिसके लिए हमें ब्रिटिश शासकों के कितने भी डंडे और गोलियां क्यों न खानी पड़े आपको इसमें से किसी भी स्थिति के लिए हमेशा तैयार रहना होगा नहीं तो मैं इस सत्याग्रह को पूर्ण नहीं कर पाऊंगा और फिर मुझे लगता है कि इसे बीच में ही छोड़ना पड़ेगा।

● गांधी जी ने सभी किसानों से वचन लेते हुए कहा कि वचन तोड़ने से अच्छा है कि आप रात में आकर मेरी गर्दन पर वार कर देना मैं ईश्वर से आपकी इस गलती के लिए प्रार्थना करूंगा कि वो आपको माफ कर दें।

● इस प्रकार गांधी जी द्वारा इस सत्याग्रह को प्रारंभ किया गया और लोगों से प्रेमपूर्वक अपील की गई कि वह समाज सेवक बनें और समाज की समस्याओं का मिलकर सामना करें।

● गांधी जी ने कहा कि अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता और इसी बात को मध्य नजर रखते हुए सरदार बल्लभ भाई पटेल से एक पत्र तैयार कराया तथा सभी किसानों से प्रतिज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर कराए कि किसानों की भावनाओं को ठेस और स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने के लिए गलत कार्य किया गया है।

● इस प्रकार बहुत ऊंच नीच हुई और अंत में किसानों के सामने ब्रिटिश सरकार को झुकना पड़ा और किसानों की जीत हुई।

● 1919 के बाद किसानों ने जो भी आंदोलन किए वो बहुत व्यवस्थित ढंग से किए गए और इसके बाद किसान सभा नामक एक समिति का गठन हुआ इस प्रकार सरकार ने अपनी गलती का पश्चाताप किया तथा किसानों से लगान वसूलने पर रोक लगा दी।

◆ रॉलेट ऐक्ट का विरोध (Protest Against The Rowlatt Act)

रॉलेट ऐक्ट को काला कानून भी कहा जाता है यह देश में उठ रही आजादी की आवाज को दबाने के लिए अंग्रेजों द्वारा 18 मार्च , 1919 में लाया गया। इस कानून में वायसरॉय को प्रेस को नियंत्रित करने , किसी भी समय किसी भी राजनीतिज्ञ को अरेस्ट करने के साथ ही बिना वांरट किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देने का प्रावधान था महात्मा गांधी के नेतृत्व में पूरे देश में इसका विरोध किया गया इस ऐक्ट के अंतर्गत अपराधी को बिना किसी वजह के जेल में बंद किया जा सकता था उस समय रॉलेट ऐक्ट का जमकर विरोध हुआ था जिससे पूरे देश में हड़ताल और धरने प्रदर्शन हुए थे रॉलेट ऐक्ट में अमृतसर के दो बड़े नेता डॉक्टर सतपाल जी और डॉक्टर सैफुद्दीन किचलू को गिरफ्तार कर लिया गया था जिससे अमृतसर के साथ साथ पंजाब की जनता भी भड़क उठी थी इसके बाद 13 अप्रैल , 1919 बैसाखी त्योहार के दिन पंजाब के सभी किसान अमृतसर स्थित मंदिर में उपस्थित हुए थे जहां पर जनरल डायर ने गोलियां की बारिश कर दी थी और इसी कारण से भारतीय इतिहास में इस दिन को “काला दिन” के नाम से जाना जाता है।
● रॉलेट ऐक्ट को बिना अपील , बिना वकील , बिना दलील , काला अधिनियम और आतंकवादी अपराध अधिनियम के नाम से जाना जाता है।

● यह अधिनियम सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में सेडिशन कमेटी की सिफारिशों के आधार पर पारित किया गया था।

● यह अधिनियम भारतीय सदस्यों के एकजुट होकर किये गए विरोध के बावजूद इंपीरियल विधानपरिषद में जल्दबाजी में पारित किया गया था।

● इस अधिनियम ने सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को दबाने के लिये अधिकार प्रदान किये और दो साल तक बिना किसी मुकदमे के राजनीतिक कैदियों को हिरासत में रखने की अनुमति दी।

● रॉलेट ऐक्ट के अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना किसी संदेह या परीक्षण के 2 साल की जेल हो सकती थी।

● रॉलेट ऐक्ट में बहुत महिलाओं और बच्चों ने भी भाग लिया था लेकिन ये बाद में जलियाबाला बाग हत्याकांड के रूप में बदल गया था।

● प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर जब जनता संवैधानिक सुधारों का इंतजार कर रही थी तब ब्रिटिश सरकार ने रॉलेट ऐक्ट को जनता के सामने पेश किया था रॉलेट ऐक्ट 26 जनवरी , 1919 को पास हुआ था।
● 8 अप्रैल , 1919 को अहिंसक विरोध दिवस के रूप में मनाया जाता है।

◆ असहयोग आंदोलन

1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद असहयोग आंदोलन से पहली बार ब्रिटिश सरकार की नींव हिल गई थी महात्मा गांधी तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में 1920 में असहयोग आंदोलन चलाया गया था। इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई जागृति प्रदान की गांधी जी का मानना था कि ब्रिटिश हाथों में एक उचित न्याय मिलना असंभव है इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से राष्ट्र के सहयोग को वापस लेने की योजना बनाई और इस प्रकार असहयोग आंदोलन की शुरुआत की गई।
● असहयोग आंदोलन की अनिवार्य विशेषता यह थी कि अंग्रेजों की क्रूरताओं के खिलाफ लड़ने के लिए शुरू में केवल अहिंसक साधनों को अपनाया गया था।

● इस आंदोलन ने अपनी रफ़्तार सरकार द्वारा प्रदान की गई उपाधियों को लौटाकर और सिविल सेवाओं , सेना , पुलिस , अदालतों और विधान परिषदों , स्कूलो और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करके किया गया।

● देश में विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया शराब की दुकानों को बंद कर दिया गया और विदेशी कपड़ो की होली जलाई गयी।

● मोतीलाल नेहरू, सी. आर. दास , सी. राजगोपालाचारी और आसफ अली जैसे कई वकीलों ने अपनी प्रैक्टिस छोड़ दी।

● इससे विदेशी कपड़े का आयात 1920 और 1922 के बीच बहुत गिर गया।

● जैसे – जैसे यह आंदोलन फैलता गया लोगों ने सभी आयातित कपड़ों को त्यागना शुरू कर दिया और केवल भारतीय कपड़ो को पहनना शुरू कर दिया जिससे भारतीय कपड़ा मीलों और हैंडलूमों का उत्पादन बढ़ गया।

● प्रारम्भ से ही कांग्रेसी नेता इस आन्दोलन के बारे में एकमत नहीं थे। गांधीजी के व्यक्तिगत प्रभाव के कारण ही यह प्रस्ताव पारित हो सका था।

● गांधी जी का अचानक बिना नेताओं से परामर्श किए इस आन्दोलन को स्थगित कर देना गलत रहा। वी. पी. मेनन ने लिखा है कि “यदि गांधी जी द्वारा असहयोग आन्दोलन उस समय समाप्त न किया जाता जबकि यह शासन के लिए अत्यधिक चिन्ता का विषय बन रहा था तो सम्भवतः सरकार भारतीय जनमत को सन्तुष्ट करने के लिए कोई कार्य करने को बाध्य हो जाती”।

● असहयोग आन्दोलन की सफलता के लिए अनुशासन व बलिदान की आवश्यकता थी उसका लोगों में अभाव था।

● असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रम का ध्वंसात्मक पहलू भी विशेष सफल नहीं हुआ। विधानमण्डलों में स्थान रिक्त रहे। कॉलेज और अदालतें भी चलती रहीं।

● खिलाफत के प्रश्न को राजनीति में सम्मिलित करना गांधी जी की बड़ी भूल थी। खिलाफत का प्रश्न मूलतः धार्मिक प्रश्न था भारतीय राजनीति से उसका कोई सम्बन्ध नहीं था।

◆ नमक सत्याग्रह (Salt Satyagraha)

डांडी मार्च को नमक मार्च या डांडी सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ महात्‍मा गांधी ने नमक सत्‍याग्राह शुरू किया था महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए सभी आंदोलनों में से नमक सत्याग्रह सबसे महत्वपूर्ण था महात्मा गांधी ने 12 मार्च , 1930 में साबरमती आश्रम जो कि अहमदाबाद स्थित है वहां से दांडी गांव तक 24 दिनों की पैदल यात्रा निकाली थी।
● दांडी यात्रा यानि नमक सत्याग्रह की शुरुआत 12 मार्च 1930 को हुई थी महात्मा गांधी के नेतृत्व में 24 दिन का यह अहिंसा मार्च 6 अप्रैल को दांडी पहुंचा और अंग्रेजों का बनाया नमक कानून तोड़ा।

● उस वक्त देश पर अंग्रेजों का राज था और किसी भी भारतीय के नमक इकट्ठा करने या बेचने पर रोक थी यही नहीं भारतीयों को नमक अंग्रेजों से ही खरीदना पड़ता था नमक बनाने के मामले में अंग्रेजों की मोनोपॉली चलती थी और वह नमक पर भारी टैक्स भी वसूलते थे नमक सत्याग्रह अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ एक बड़ी रैली थी।

● दांडी में समुद्र किनारे पहुंचकर महात्मा गांधी ने गैर-कानूनी तरीके से नमक बनाया और अंग्रेजों का नमक कानून तोड़ा आगे चलकर यह एक बड़ा नमक सत्याग्रह बन गया और हजारों लोगों ने न सिर्फ नमक बनाया बल्कि अंग्रेजी कानून तो गलत बताते हुए गैर-कानूनी नमक खरीदा भी।

● नमक सत्याग्रह की शुरुआत करीब 80 लोगों के साथ हुई थी जैसे-जैसे यह यात्रा अहमदाबाद से दांडी की तरफ बढ़ी वैसे-वैसे इस 390 किमी लंबी यात्रा में लोग जुड़ते चले गए दांड़ी पहुंचने तक इस अहिंसक नमक सत्याग्रह में 50 हजार से ज्यादा लोग जुड़ चुके थे।

● नमक सत्याग्रह जिस तरह से बिना किसी हिंसा के आगे बढ़ा और बड़ी ही शालीनता से अंग्रेजों के एकतरफा कानून को तोड़ा गया उसकी दुनियाभर में चर्चा होने लगी इस दांडी मार्च ने अंग्रेजी हुकूमत को भी हिलाकर रख दिया था नमक सत्याग्रह को अखबारों ने खूब जगह दी और इससे भारत के स्वाधीनता आंदोलन को नई दिशा भी मिली।

◆ दलित आंदोलन (Dalit Movement)

दलित संप्रदाय भारत की कुल आबादी का एक चौथाई है ब्रिटिश साम्राज्यवादी सरकार इन्हें दबे कुचले वर्ग के नाम से बुलाती थी देश में फैले छुआछूत के विरोध में महात्मा गांधी ने 8 मई , 1933 से छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की थी यह आंदोलन पूरे देश में इस तरह फैला कि देश में काफी हद तक छुआछूत की भावना खत्‍म हो गई इसके बाद गांधी जी ने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना 1932 में की थी

● भारत में दलित आंदोलन की शुरूआत ज्योतिराव , गोविंदराव फुले के नेतृत्व में हुई। इन्होने भारतीय समाज में दलितों को एक ऐसा रास्ता दिखाया था जिस पर आगे चलकर दलित समाज और अन्य समाज के लोगों ने चलकर दलितों के अधिकारों की कई लड़ाई लडी।
● ज्योतिराव ने भारत में दलित आंदोलनों का सूत्रपात किया था लेकिन इसे समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का काम बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर ने किया।
● दलित शब्द सबसे पहले ज्योतिराव फुले द्वारा दलित वर्गों या हिंदू के अस्पृश्य जातियों के लिए इस्तेमाल किया गया था महात्मा गांधी ने इन्हें “हरिजन” कह कर संबोधित किया था जिसका मतलब है “भगवान के संतान”।
● स्वतंत्रता से पहले भारत में जाति और दलित आंदोलन , ब्राह्मणवाद के सामाजिक और राजनैतिक प्रभुत्व के खिलाफ किया गया आंदोलन था।
● ब्राह्मणवाद के अनुसार, दलित या निम्न जाति के लोग केवल तीन वर्णों जैसे ब्राह्मण , क्षत्रिय और वैश्य की सेवा के लिए ही जन्म हुआ है इसलिए उन्हें उच्च शिक्षा लेने का अधिकार नहीं है और न ही उन्हें सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक कार्यो में लिप्त होने का कोई अधिकार है।

◆ भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement)

महत्‍मा गांधी ने अगस्त , 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की, इस आंदोलन के कारण भारत छोड़ कर जाने के लिए अंग्रेजों को मजबूर किया गया। इसके साथ ही एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन करो या मरो भी आरंभ किया गया इस आंदोलन के कारण ही देश में आजादी की नींव पड़ी।

● इस आंदोलन ने पूरे भारत को एकता के सूत्र में बांध दिया। भारत की आजादी ही सभी भारतीयों का एकमात्र उद्देश्य बन गया। हालांकि आंदोलन खत्म होने के बाद पूरे देश में चुनाव करवाए गए तथा चुने गए भारतीय प्रतिनिधियों को संक्षिप्त शक्तियां दी गई परन्तु देश की जनता ने ब्रिटिश शासन का उखाड़ फेंकने का पूरा मन बना लिया।
● इस आंदोलन को मुस्लिम लीग तथा अन्य कुछ संगठनों ने सपोर्ट नहीं किया। उनका मानना था कि आजाद भारत में मुस्लिमों की स्थिति बहुत बुरी हो जाएगी। इस तरह पहली बार अखंड भारत के दो हिस्से करने की नींव रखी गई।
● दूसरे विश्व युद्ध और भारत में चल रहे आजादी के आंदोलन के कारण अंग्रेजों के लिए भारत पर राज करना दिनों-दिन कठिन होता जा रहा था। ऐसे में ब्रिटिश सरकार खुद भी भारत को स्वतंत्र करने के बारे में गंभीरता से सोचने लगी। 1945 में ब्रिटेन में चुनी गई लेबर पार्टी की सरकार ने कांग्रेस को मुस्लिम लीग के बीच सुलह करवाने के लिए कई बैठकें की।
● इस आंदोलन में देश को लालबहादुर शास्त्री , जयप्रकाश नारायण , अरुणा आसफ अली और डॉ. राम मनोहर लोहिया जैसे नए नेता मिले जिन्होंने आजादी के बाद देश को लोकतंत्र और कामयाबी की राह पर आगे बढ़ाने में अपना योगदान दिया।
● इस आंदोलन को गांधीजी ने बीच में ही रोक दिया। ऐसे में देश की आजादी के लिए थोड़े दिन और इंतजार करना पड़ा। वहीं दूसरी ओर देश में चुनावों की तैयारियां शुरू हो गई जिनके तहत चुने गए भारतीय प्रतिनिधियों को सीमित मात्रा में शक्तियां दी जानी थीं।
● आंदोलन में वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार किए जाने से कुछ स्थानों पर हिंसा की घटनाएं होने लगी , जनता ने तोड़-फोड़ और आगजनी शुरू कर दी। गांधीजी की अपील और कांग्रेस नेताओं को जेल से रिहा किए जाने पर ही इन घटनाओं पर रोक लगी।
● मुस्लिम लीग ने स्पष्ट मन बना लिया कि मुस्लिमों के लिए अलग देश का गठन किया जाना चाहिए जिसमें मुस्लिम बहुसंख्यक राज्यों को शामिल किया जाए। मुस्लिम लीग की यह जिद आगे चलकर पाकिस्तान के निर्माण का कारण बनी।
● उस समय विश्व युद्ध चल रहा था ऐसे में ब्रिटेन को बहुत बड़ी संख्या में सिपाहियों की जरूरत थी जिनके लिए भारतीयों को जबरन सेना में भर्ती किया जा रहा था। इससे भी देश की जनता नाराज थी। इस एक कारण से भी जनता अंग्रेजों से नाराज होकर तन-मन-धन से देश को आजादी दिलाने की मुहिम में जुट गई।
● भारत छोड़ो आंदोलन एक ऐसा शक्तिशाली आंदोलन था जिसने न केवल ब्रिटेन वरन पूरे विश्व को हिला दिया था। इसकी वजह से देश को आजादी जल्दी मिलने की राह खुली।
● आजाद हिन्द फौज के रूप में देश को एक सैन्य बल भी मिला जिसने देश की जनता को यह जताया कि सशस्त्र विद्रोह भी देश की मुक्ति का साधन बन सकता है।

याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें –

● अंग्रेजों द्वारा महात्मा गांधी को सार्वजनिक सेवा के लिए 1915 में “केसर-ए-हिंद” की उपाधि प्रदान की गई।

● महात्मा गांधी को सबसे पहले सुभाष चन्द्र बोस ने 1944 में रंगून रेडियो के माध्यम से “राष्टपिता” कहकर संबोधित किया था।

● रविंद्र नाथ टैगोर ने महात्मा गांधी को “महात्मा” की उपाधि प्रदान की थी।

● आइंस्टाइन और मार्टिन लूथर किंग महात्मा गांधी को अपना गुरु मानते थे।

● महात्मा गांधी के सम्मान में सरदार बल्लभ भाई पटेल ने प्रधानमंत्री का पद त्याग दिया था।

● लगभग 70 से भी ज्यादा देशों ने महात्मा गांधी की मूर्ति बना रखी है।

● 90,000 से भी ज्यादा किताबें महात्मा गांधी के ऊपर लिखी जा चुकी हैं।

● अभी तक 45 से भी ज्यादा फिल्में महात्मा गांधी के ऊपर बन चुकी हैं।

● भारत छोड़ो आंदोलन को “अगस्त क्रांति” के नाम से भी जाना जाता है।

● महात्मा गांधी कहते हैं कि जहां प्रेम है वहां जीवन है क्योंकि प्रेम ही दुनिया का सबसे मजबूत बल है और अहिंसा मजबूती का हथियार है।

● महात्मा गांधी के चार बेटे थे –

  1. हरिलाल गांधी
  2. रामदास गांधी
  3. देवदास गांधी
  4. मनीलाल गांधी

निष्कर्ष : संक्षेप में कहा जा सकता है कि भारत की आजादी में महात्मा गांधी का बहुत बड़ा योगदान है इनके द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन और नमक सत्याग्रह आंदोलन ने देश में आजादी के लिए नई क्रांति ला दी थी इसीलिए आज हमारे देश में महात्मा गांधी को पूजा जाता है।

गांधी जी से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न –

प्रश्न : गांधी जी का पूरा नाम क्या है?
उत्तर : मोहनदास कर्मचंद गांधी

प्रश्न : गांधी जी ने कितने आंदोलन किए थे?
उत्तर :
7

प्रश्न : महात्मा गांधी ने कौन कौन से आंदोलन का नेतृत्व किया?
उत्तर
: चंपारण सत्याग्रह , खेड़ा सत्याग्रह , रॉलेट ऐक्ट का विरोध , असहयोग आंदोलन , नमक सत्याग्रह , दलित आंदोलन , भारत छोड़ो आन्दोलन।

प्रश्न : गांधी जी का सर्वप्रथम आंदोलन कौन सा था?
उत्तर :
चंपारण सत्याग्रह

प्रश्न : महात्मा गांधी के कितने बेटे थे?
उत्तर :
4

प्रश्न : महात्मा गांधी की पत्नी का क्या नाम था?
उत्तर :
कस्तूरबा गांधी

प्रश्न : महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से कब लौटे?
उत्तर :
1915

प्रश्न : 1942 में गांधी जी द्वारा चलाया गया आंदोलन कौन सा था?
उत्तर :
भारत छोड़ो आंदोलन

प्रश्न : अंग्रेजों ने गांधी जी को कौन सी उपाधि दी थी?
उत्तर :
“केसर – ए – हिंद”

प्रश्न : महात्मा गांधी के बच्चों का नाम क्या था?
उत्तर :
इनके चार बेटे थे –

  1. हरिलाल गांधी
  2. रामदास गांधी
  3. देवदास गांधी
  4. मनीलाल गांधी

प्रश्न : महात्मा गांधी की माता का नाम क्या था?
उत्तर :
पुतलीबाई

प्रश्न : महात्मा गांधी का जन्म कहां हुआ था?
उत्तर :
पोरबंदर (गुजरात)

प्रश्न : गांधीजी किसे अपना गुरु मानते थे?
उत्तर :
गोपाल कृष्ण गोखले

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1 COMMENT

  1. नमक सत्याग्रह वाकई में काफी अच्छा रहा मजा आ गया पढ़कर

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