अभी हाल में ही फ्रांस के Marseille में वर्ल्ड कंजर्वेशन कांग्रेस (WCC) की बैठक में IUCN द्वारा नया रेड लिस्ट जारी किया गया।
वर्ल्ड कंजर्वेशन कांग्रेस (World conservation congress) 2020 का आयोजन कोविड-19 के कारण 2020 में होने के बजाय 3 सितंबर से लेकर 11 सितंबर 2021 तक फ्रांस में किया गया ।
नई सूची की मुख्य बातें:-
इसमें बताया गया है की 900 से अधिक जानवर की प्रजाति पूर्ण रूप से विलुप्त हो चुके हैं । 38 हजार से अधिक प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर है।जिनमें करीब 80 प्रजातियां विलुप्त, 8404 प्रजातियां गंभीर खतरे की श्रेणी में ,14647 खतरे की तथा 15493 प्रजातियां अतिसंवेदनशील श्रेणी में है ।
सबसे बड़ी जीवित छिपकली कोमोडो ड्रैगन अति संवेदनशील श्रेणी से एक स्तर और ऊपर होकर खतरे की श्रेणी में पहुंच गया ।
कोमोडो ड्रैगन :- यह इंडोनेशिया की स्थानिय छिपकली प्रजाति है । यह केवल कोमोडो नेशनल पार्क तथा उसके निकटवर्ती क्षेत्रों में पाया जाता है।
विश्व की शार्क और रे प्रजातियों में से 37 % विलुप्त होने की कगार पर है। अच्छी खबर यह है , कि टूना मछली के 7 प्रजाति में से चार में सुधार देखी गई है।
कारण- रिपोर्ट के अनुसार जीवो की प्रजातियों पर खतरा उनके आवास की कमी, क्षरण ,शिकार तथा जलवायु परिवर्तन के कारण होता है।
About IUCN ( International Union for conservation of nature) :-
यह पर्यावरण के संरक्षण के लिए काम करने वाला सबसे पुराना तथा सबसे बड़ा संगठन है। यह अनेक तरह के संगठन , NGO, कई देशों के सरकार एवं निजी क्षेत्रों के सम्मिलित संगठन है। इसकी स्थापना 5 अक्टूबर 1948 को फ्रांस के fontainebleau में IUPN ( International union for the protection of nature) के नाम से की गई। बाद में इसका नाम 1956 में IUCN किया गया। इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के ग्लैंड में है। इसका प्रत्येक 4 साल में वर्ल्ड कंजर्वेशन कांग्रेस की बैठक होती है। जिसमें रेड लिस्ट जारी करता है जोकि विश्व के संकटग्रस्त पौधों एवं जानवरों की सूची होती है। 1969 में वर्ल्ड कंजर्वेशन कांग्रेस की बैठक दिल्ली में हुआ था ।
IUCN का उद्देश्य:-
- लोगों को प्रकृति विविधता को बनाए रखने में प्रोत्साहित करना।
- प्रकृति की सुरक्षा का उपाय करना।
- लोगों को प्रकृति की कीमत समझने एवं उनके संरक्षण के लिए सहयोग करना ।
- प्राकृतिक संसाधनों का सतत प्रयोग को सुनिश्चित करना ।
ताकि पर्यावरण संरक्षित रहे एवं आने वाली पीढ़ियां इसका लाभ प्राप्त कर सकें।
रेट लिस्ट क्या है ?
- इसकी शुरुआत 1963 में किया गया।
- इसमें वैसे जानवरों एवं पौधों की प्रजातियों की सूची होती है जोकि भविष्य में विलुप्त होने की खतरे में हो, असुरक्षित हो तथा दुर्लभ जीव प्रजाति हो।
- इसे हर एक 4 साल में संशोधित कर जारी किया जाता है।
- इन संकटग्रस्त प्रजातियों को निम्न श्रेणी में बाटा गया है।
विलुप्त (Extinct):-
वैसे जीवो की प्रजाति जिनका अंतिम सदस्य भी पूर्ण रूप से समाप्त हो चुका हो। उदाहरण :- डायनासोर, मेमथ, डोडो पक्षी आदि।
वन में विलुप्त ( Extinct in wild ):-
वैसा जीव जो अपने प्राकृतिक निवास से पूर्ण रूप से विलुप्त हो चुका हो उसे स्थान विशेष पर संरक्षित कर रखा जाता हो। उदाहरण- गुलाबी सिर वाला बत्तख।
अति संकटग्रस्त (Critically endangered ) :-
जिसका निकट भविष्य में विलुप्त होने का खतरा अत्यधिक हो। इसके तहत 80 % सदस्य पिछले 10 वर्षों में नष्ट हो चुके हैं। उदाहरण- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड , नामदफा उड़ने वाली गिलहरी।
संकटग्रस्त (Endangered ):-
जिसमे भविष्य में विलुप्त होने की संभावना हो। इसके तहत 70 % सदस्यों का पिछले 10 वर्षों में नष्ट होना। उदाहरण- काला हिरण, बारहसिंघा, गिद्ध, जंगली गधा।
अति संवेदनशील (Vulnerable ):-
भविष्य में वन से विलुप्त होने की संभावना। उदाहरण फिशिंग बिल्ली भारतीय बायसन ।
संकटासन्न (Near threatened) :-
वर्तमान समय में संकटग्रस्त जीवो की सूची में ना हो। परंतु निकट भविष्य में शामिल होने की संभावना हो ।
कम चिंतनीय (least concern):-
वैसा जीव जिस पर अभी तत्कालिक खतरा ना हो !
बेहतर पर्यावरण एवं जैव विविधता को बनाए रखने के लिए सभी जीवो का पर्याप्त एवं संरक्षित स्थिति में रहना अति आवश्यक है। सभी जीव एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं। किसी एक पर खतरा होना, दूसरे के खतरे के सूचक होता है तथा पर्यावरण में संकट का भी सूचक होता है । इसलिए सभी लोगों को पर्यावरण संरक्षण एवं विभिन्न जीवो के संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए।