अभी के समय में अफगानिस्तान में तालिबान का शासन है अन्य देश वहां से अपने नागरिकों को वापस अपने देश ला रहे हैं। तालिबान का शासन आने से अफगान में आज के समय हिंसा आम बात हो गई है। हर दिन कई जाने जा रही है। इसी कड़ी में अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट पर 26 august को लगातार दो बम धमाके हुए।
जिसमें अभी तक करीब 200 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है तथा अनेक लोग घायल हैं। इस धमाके में 13 अमेरीकी सैनिको की भी मौत हुई है।
इस हमले के बारे में अमेरिका तथा फ्रांस ने तालिबान को हमले से 15 घंटा पूर्व चेतावनी दी थी की काबुल में बड़ा हमला हो सकता है। परंतु तालिबान ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह कहा कि हम अफगानिस्तान में किसी भी तरह के आतंकी हमला नहीं होने देंगे।हमले के बाद अमेरिका ने इस हमले का कसूरवार ISIS- k को ठहराया बाद में ISIS- k ने खुद इसकी जिम्मेदारी ली
ISIS-K क्या है?
यह ISIS का एक सहयोगी संगठन है। इसे Islamic State of siriya and Iraq – khurasoun या ISKP (Islamic state khurasain province) के नाम से जाना जाता है।
2013-14 में इराक तथा सीरिया के क्षेत्रों में इस्लामिक स्टेट का प्रभाव था। इसी दौरान इसकी स्थापना 2015 में अफगानिस्तान में उमर खालिद द्वारा किया गया था।
Note :- बाद में उमर खालिद को Afghanistan में 2020 में पकड कर काबुल में रखा। 16 August 2021 को तालिबान ने उसे मार दिया।
इसमें शामिल होने वाले लोग पाकिस्तान तालिबान के है। 2014 में पाकिस्तानी सेना तथा पाकिस्तानी तालिबान के बीच मुठभेड़ में काफी तालिबानी मारे जा रहे थे। इससे तालिबानी सैनिक अपने नेतृत्व से खुश नहीं थे। वह इस संगठन को छोड़कर आईएसआई (ISI) से जुड़ गए और उसी के एक शाखा को बनाया। बाद में इसमें ईरान के सुन्नी प्रांत के लड़ाके uigar मुस्लिम तथा उज्बेकिस्तान के आतंकी संगठन के लड़ाके इसमें शामिल हुए।
इसका प्रभाव अफगानिस्तान pak सीमा के पास नंगरहार प्रांत, कुनार प्रांतीय तथा खुरासन प्रांत में हैं। खुरासन प्रांत ईरान के उत्तरी पूर्वी भाग अफगानिस्तान के उत्तरी भाग तथा तुर्कमेनिस्तान का दक्षिणी भाग का सम्मिलित रूप है।
अमेरिका काफी पहले इसके खतरे को भाभते हुए एयर स्ट्राइक करना शुरू कर दिया। 2016 तक इस समूह के ज्यादातर लड़ाके को मार दिया गया और 2019 तक ISIS का भी खात्मा हो चुका था। फिर भी कुछ लड़ाके बचे रहे जो अफगानिस्तान में बदलते माहौल को देखकर फिर से उठ खड़े हुए हैं।
तालिबान तथा ISIS-k के मध्य दुश्मनी का कारण :-
ISIS- k का उद्देश्य इस्लामिक अमीरात का निर्माण करना है। यह दोनों कट्टर सुन्नी इस्लामिक संगठन है। इनका दुश्मनी का मुख्य कारण संसाधनों एवं क्षेत्रों को कब्जा को लेकर है।
अमेरिका की प्रतिक्रिया:-
अमेरिका इस हमले को लेकर काफी गुस्सा हुआ उसने बदला लेने की धमकी दि और उसने हमले के मास्टरमाइंड को मार देने का वादा भी किया है। ISIS- k को मिटाने के लिए अमेरिका तालिबान से समझौता को लेकर विचार कर रहा है। जो कि उसकी सबसे बड़ी गलती हो सकती है
भारत पर प्रभाव एवं उपाय –
पाक समर्थित आतंकवादी समूह से भारत में आतंकवादी हमले होने की आशंका। अन्य गुटों का अफगानिस्तान में जमावड़ा होने से भारत में आतंकी गतिविधियां में तेजी भी आ सकती है। भारत के समक्ष शरणार्थीयों की समस्या भी आ सकती है।
इसके उपाय स्वरूप सीमा पर सुरक्षा को बढ़ाना। सभी देशों के इंटेलिजेंस एजेंसी का आपस में जानकारी साझा कर इसके विरुद्ध काम करना। भारत के आंतरिक सुरक्षा बलों को चौकन्ना रहना होगा।