चर्चा में क्यों?
क्या हमें पता है कि भारत का पहला स्वदेश निर्मित विमान वाहक पोत IAC-1 का समुद्री परीक्षण आरंभ हो गया है?
IAC-1(Indigenous Aircraft carrier) जिसे “विक्रांत” नाम दिया गया और INS (Indian Navy Ship) “विक्रमादित्य” के साथ भारत के पास वर्तमान में दो विमान वाहक पोत हो जाएगा।
इसके साथ ही भारत अब खुद से एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने वाले चुनिंदा देशों के श्रेणी में आ गया है।
Indian Navy के बारे में कुछ जानकारी:-
भारतीय नेवी का इतिहास काफी पुराना रहा है, दक्षिण के चोल शासक के काल में भारतीय नौसेना काफी प्रचलित एवं मजबूत रही तथा शिवाजी के काल में भी भारतीय नौसेना काफी प्रचलित रहा। 1612 में अंग्रेजों ने भारतीय नौसेना को एक अलग पहचान देना शुरू किया! जिसे Royal Indian navy के नाम से जाना जाता था। आजादी के बाद इसे Indian navy के नाम से जाना जाता है।
भारत अपना विशाल तटरेखा को देखते हुए तथा पड़ोसियों से खतरे को लेकर इंग्लैंड में बने Herculas विमान वाहक पोत को 1957 में खरीदा इसे 1961 में अपने हिसाब से परिवर्तन कर भारतीय नौसेना में शामिल किया।
यह भारत का पहला विमान वाहक पोत था। इसे विक्रांत नाम दिया गया। यह विक्रांत 1971 के बांग्लादेश आजादी युद्ध में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाया। इस जहाज को 1997 में सेवा मुक्त कर दिया गया।
Note:- इस जहाज को तोड़कर बजाज कंपनी ने विक्रांत नाम के स्कूटर को बनाया।
भारत अपना दूसरा Aircraft carrier इंग्लैंड से ही 1987 में “आई एन एस विराट” खरीदा
जोकि 2017 में सेवा मुक्त हुआ।
भारत ने अपना तीसरा विमान वाहक पोत रसिया से “आई एन एस विक्रमादित्य” 2014 में खरीद कर Navy को सौंपा। यह विक्रमादित्य रूस में Admiral Gorshkove के नाम से जाना जाता था! जो अभी भी में सेवा में है। अब भारत ने अपना पहला विमान वाहक पोत आई एन एस विक्रांत बनाया।
IAC 01 या विक्रांत के बारे में जानकारी :-
IAC 01 को विक्रांत नाम पहले के जहाज विक्रांत के युद्ध में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया। इस IAC को 2013 में बनाना आरंभ किया गया। वर्तमान में इसका Sea trail चल रहा है। लगभग अगस्त 2022 तक यह भारतीय नौसेना को सौंप दिया जाएगा।
इस एयरक्राफ्ट करियर को कोचीन शिपयार्ड ने बनाया है तथा इसका डिजाइन DND(Directorate of naval design) ने किया जोकि ministry of shipping के अंदर आता है। परीक्षण के बाद पूर्वी naval कमांड को सौंप दिया जाएगा। इस जहाज को बनाने में कुल खर्च 3.5 बिलियन डॉलर या 23000 करोड़ रुपया लग।
इसका वजन 40 से 45000 टन, इसकी लंबाई 263 मीटर ,चौड़ाई 63 मीटर तथा ऊंचाई लगभग 26 मीटर है। इसका एरिया 2.5 एकड़ की , क्षमता 1.10 लाख हॉर्स पावर तथा इसके स्पीड 52 km/h और 15000 किलोमीटर distancesतक जा सकता है। इसमें 196 ऑफिसर ,1149 से ज्यादा seller तथा कुछ टेक्निकल इंजीनियर वगैरह के रहने की जगह होती है। उसके नीचे की फ्लोर में प्ले ग्राउंड, जिम एवं 6 महीने की राशन सामग्री तथा हॉस्पिटल होता है। इसका इंजन डीजल इलेक्ट्रिक इंजन है। इस एयरक्राफ्ट कैरियर को बनाने में 50 इंडियन कंपनी को टेंडर दिया गया। जिसमें 2000 भारतीय को हर दिन काम प्रत्यक्ष रूप से मिलता था तथा 40,000 को अप्रत्यक्ष रूप से इस में काम मिला। इसकी कुल लागत का 80 से 85% इंडियन इकॉनमी में वापस आ गया तथा 70 से 75 % समान इंडिया का ही इसमें लगा।
विक्रांत में लगे रडार सिस्टम एवं हथियार: –
INS विक्रांत में कई तरह के रडार को लगाया गया जिसका परीक्षण चल रहा है एवं इस पर कई तरह के हथियार को भी लाया जाएगा।
• इस पर 2 runway को बनाया गया है तथा लैंडिंग के लिए अरेस्टेड लैंडिंग की व्यवस्था है। Landing में मदद करने के लिए TACAN रडार को लगाया गया है।
• इसमें ड्रोन जैसे छोटे दुश्मन के हथियार को पकड़ने के लिए MARINE रडार, रास्ता बताने के लिए Navigation रडार को लगाया गया।
• इसमें Salex RAN warning रडार लगाया गया जोकि 400 किलोमीटर के अंदर में कोई भी दुश्मन का मिसाइल या aircraft आ जाने पर सूचित करता है।
• MF(multi functional) star radar लगाया गया। जोकि कई सारी टारगेट को एक साथ लॉक कर सकता है।
• इसमें comet anti रडार सिस्टम लगाया गया है। जो कि दुश्मन के जहाज के रडार को भटका देता है।
• इसमें मौसम की जानकारी के लिए weather रडार and संपर्क के लिए SATCOM रडार को लगाया गया।
• इस पर ACCS (Advance composite communication system लगाया गया है! जिसकी सहायता से विक्रांत अपने एयरक्राफ्ट, सबमरीन तथा coast से connect रह सकता है।
• SSR (secondry servilance radar) भी लगाया गया। यह अपने जहाज को रास्ता दिखाता है। मतलब जहाज पर भी लगा लगा रहता है परंतु उसकी क्षमता कम होती है। इससे radar के द्वारा विक्रांत अपने जहाज को दुश्मन की जहाज के बारे में जानकारी देगा।
• आई एन एस विक्रांत पर 30 से अधिक एयरफाइटर इसमें मुख्यता mig 29 तथा tejas विमान होगा।
• इस पर बराक मिसाइल सिस्टम, 76 mm के tank, Ak 630 मशीन गन को लगाया जाएगा।
• तथा इस पर कई सारे सर्विलांस हेलीकॉप्टर , air early warning komov 31 , mh-60 seahock हेलीकॉप्टर को रखा जाएगा।
एयरक्राफ्ट कैरियर का होने से लाभ:-
इसके होने से यह होता है कि नौसेना तथा सेना में मजबूती आती है। इसका एक अच्छा प्रभाव रक्षा के क्षेत्र में होता है।
समुद्र में तैरता हुआ एक द्वीप के समान तथा अपने आप में एक मिलिट्री होता है। किसी भी लंबी तट रेखा वाले देश के पास एयरक्राफ्ट कैरियर का होना बहुत आवश्यक है।
फिलहाल नौसेना भारत सरकार से तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर विशाल को बनाने को लेकर मांग कर रही है। भारत सरकार बजट के कमी के कारण इसे अब तक मना कर रही है।
मेरा आप सबसे प्रश्न है कि क्या भारत को तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर बनाना चाहिए?
क्योंकि एक एयरक्राफ्ट कैरियर को सर्विसिंग में 6 माह का समय लगता है? उत्तर कमेंट करे और इस जानकारी को शेयर करें।