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INS Anvesh भारत की पहली Floating missile Test Range.

चर्चा में क्यों है?

भारत ने अपना पहला तैरता हुआ मिसाइल परीक्षण शिप INS Anvesh बनाया। शिप बनाने का काम 2015 से आरंभ हो गया था। इसे 2 माह के समुद्री परीक्षण (sea trail) के पश्चात भारतीय नेवी (Navy) एवं DRDO को सौंप दिया जाएगा ।

INS Anvesh क्या है ?

INS (Indian Navel ship) Anvesh को कोचीन शिपयार्ड ने बनाया है तथा इसकी डिजाइनिंग रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO- Defence Research एंड Development Organization ) ने किया।

Note:-
कोचीन शिपयार्ड की स्थापना 1972 में हुई है तथा इसका मुख्यालय कोच्चि में है। इसका काम Navy के लिए बड़े बड़े ship को बनाना है। एयरक्राफ्ट करियर INS विक्रांत को भी यही बनाया गया था।

डीआरडीओ :- इसकी स्थापना 1958 में हुई है। इसका मुख्यालय न्यू दिल्ली में है। इसका काम सुरक्षा से संबंधित तकनीकी विकास करना है। वर्तमान में इसके चेयरमैन जी सतीश रेडी है। इसका वजन 9000 ton है और यह हिंद महासागर में 15 किलोमीटर तक मिसाइल परीक्षण कर सकता है । बिना आबादी को प्रभावित किए हुए। Anvesh पर मिसाइल को लॉन्च करने के लिए लांच पैड , उसे कंट्रोल करने के लिए कंट्रोल सेंटर , मिशन कंट्रोल सेंटर, S- बैंड रडार ,मिसाइल ट्रैकिंग सिस्टम भी लगा हुआ है।

इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी ?

भारत अपना सारा मिसाइल टेस्ट उड़ीसा के व्हीलर द्वीप से तथा चांदीपुर से करता है।

Note:- व्हीलर द्वीप का नाम 4 सितंबर 2015 को भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर कर दिया गया है। पहले कई तरह की समस्या होती थी।

मिसाइल परीक्षण करने से पूर्व सुरक्षात्मक दृष्टि से आसपास के क्षेत्रों के एवं गांव शहरों के लोगों को हटाना पड़ता था। ज्यादा रेंज की मिसाइल की टेस्टिंग वहां पर नहीं हो पाती थी।

एक ही जगह होने के कारण हमारे पड़ोसी एवं विरोधी देशों को इसकी जानकारी आसानी से मिल जाती थी कि भारत मिसाइल का परीक्षण कर रहा है।

Note:- म्यांमार के कोको आईलैंड पर चीन की मौजूदगी रहती है। मिसाइल परीक्षण करने से पूर्व उस क्षेत्र से जाने वाले एयरक्राफ्ट और ship के लिए सूचना जारी करना पड़ता था। जिसे NOTAM ( Notice to Airman ) कहा जाता है।

इस से होने वाले फायदे ?

• भारत को मिसाइल परीक्षण करने के लिए अब एक ही स्थानों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

• इससे मिसाइल परीक्षण के क्षेत्र में तेजी आएगी।

• मिसाइल परीक्षण से पूर्व आबादी हटाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

• कहीं भी जाकर मिसाइल परीक्षण कर सकते हैं।

• इसकी सहायता से विरोधी देश के नजर में आए बिना गुप्त रूप से भी मिसाइल परीक्षण किया जा सकता हैं।

सबसे बड़ी बात DRDO BMD (Ballistic missile defence) इंटरसेप्टर मिसाइल का दूसरा चरण का परीक्षण इस पर कर सकता है ।

Note:-
BMD सिस्टम PAD ( Prithvi Air Defence) और AAD (Air Defence System) से बना है।

जिसमें पहला चरण के अंतर्गत 2 रेंज, हाई रेंज 50 से 80 किलोमीटर तथा लो रेंज 15 से 30 किलोमीटर के दुश्मन मिसाइल को एक साथ बर्बाद करने का है।

दूसरा चरण का लक्ष्य 2000 किलोमीटर के रेंज का दुश्मन के मिसाइल को बर्बाद करना है।

इस सीप पर से नेवी के लिए टारपीडो फायरिंग का परीक्षण एवं इंडियन आर्मी के लिए धरती से धरती (surface to surface) मिसाइल का परीक्षण भी किया जा सकता है।

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