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INS ध्रुव क्या है ? इसके फ़ीचर्स, फायदे क्या है?

INS Dhruv भारत का पहलासैटेलाइट एंड बैलेस्टिक मिसाइल ट्रैकिंग शिप ।

भारत अपना पहला सेटेलाइट एंड बैलेस्टिक मिसाइल को नजर रखने वाला (Track) करने वाले युद्धपोत INS Dhruv को 10 सितंबर 2021 को विशाखापट्टनम में लॉन्च करने वाला है।

INS ध्रुव को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल तथा नौसेना प्रमुख (Navy Chief) एडमिरल कर्मवीर सिंह एवं अन्य की मौजूदगी में की जाने की संभावना है।

INS Dhruv :-

INS ध्रुव एक समुद्री निगरानी एवं सेटेलाइट एंड बैलेस्टिक मिसाइल को ट्रैक करने वाला युद्धपोत है। इसे हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा बनाया गया तथा इसे बनाने में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO ) और राष्ट्रीय तकनीक एवं अनुसंधान संगठन (NTRO) का सहयोग रहा।
Note:- NTRO का स्थापना 2004 में किया गया। यह एक तरह से IB और RAW जैसी इंटेलिजेंस एजेंसी की तरह ही काम करता है। इसका काम तकनीकी खुफिया जानकारी उपलब्ध कराना है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है।

Dhruv का पहले नाम VC- 11184 था। जोकि जहां से बनाया गया उस यार्ड के नाम पर रखा गया।

Note:- हिंदुस्तान शिपयार्ड की स्थापना 1941 में की गयी। इसका मुख्यालय विशाखापट्टनम में है। इसका मुख्य काम युद्धपोत, निर्माण, पनडुब्बी निर्माण है।

इस शिप के बारे में अधिकारिक रूप से ज्यादा जानकारी नहीं है।

परंतु ऐसा बताया जाता है इसका वजन 15000 ton तक है।

इसकी लंबाई 175 मीटर तथा चौड़ाई 22 मीटर है।
इस जहाज की स्पीड करीब 40 किलोमीटर / घंटा है।
इसे बनाने का काम 2014 में आरंभ किया गया था तथा 2018 में इसका समुद्री परीक्षण (sea trail ) किया गया।
इस जहाज पर कुल 300 लोगों के रहने की व्यवस्था एवं एक हेलीकॉप्टर उतरने की भी व्यवस्था है ।

Dhruv को कुल 14 मेगा वाट पावर की आवश्यकता होती है। जोकि यह खुद उत्पन्न करता है।
इसके लिए जहाज पर दो डीजल इंजन (9000kw) तथा 3 सहायक इंजन (1200kw) की सहायता से उत्पन्न किया जाएगा।
इस युद्धपोत को मुख्य रूप से स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड (SFC) के द्वारा संचालित किया जाएगा ।
इसके साथ ही इसे डीआरडीओ और इंटेलिजेंस एजेंसी के द्वारा भी इस्तेमाल किया जाएगा।

Note:- strategic force command , NCA न्यूक्लीयर कमांड अथॉरिटी के अंतर्गत आता है। इसका मुख्य काम परमाणु हथियारों का प्रबंधन एवं उसका संचालन करना है। NCA ( Nuclear command Authority) इसका काम परमाणु हथियारों के उत्पादन संबंधित कामों का निर्णय लेना है। दोनों की स्थापना 2003 में अटल बिहारी वाजपेई के समय में किया गया। इस पर निगरानी के लिए 3 गुंबद आकार के एंटीना लगा हुआ है।

सबसे मुख्य बात इस पर 360° AESA (Active Electronically scanned array) रडार लगा हुआ है। इसकी खासियत यह है कि यह एक बार में 10 लक्ष्यों पर निगरानी रख सकता है। अब तक इस तरह की तकनीक सिर्फ 5 देशों के पास है। रूस ,अमेरिका, चीन ,फ्रांस ,यूनाइटेड किंगडम के बाद भारत छठा देश हो जाएगा।

INS ध्रुव से होने वाले फायदे:-

INS Dhruv समुंद्र में लगभग 2000 किलोमीटर के रेंज में निगरानी कर सकता है।

दुश्मन के किसी भी प्रकार के मिसाइल को ट्रैक कर मिसाइल डिफेंस सिस्टम को सूचित कर सकता है, जिससे मिसाइल को हवा में ही नष्ट किया जा सकता है।

यह इंडिया के ऊपर विरोधी देश के द्वारा सेटेलाइट से निगरानी करने पर उसकी जानकारी भी दे सकता है।

विरोधी देश के द्वारा मिसाइल परीक्षण करने पर उस मिसाइल की क्षमता के बारे में भी जानकारी दे सकता है।

Dhruv पानी के अंदर दुश्मन के हथियारों के बारे में भी बता सकता है एवं दुश्मन के निगरानी करने वाले ड्रोन हेलीकॉप्टर की भी जानकारी दे सकता है।

आज के समय में समुद्री निगरानी के लिए इस तरह के निगरानी युद्धपोत की बहुत अधिक आवश्यकता है।
इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने एक और निगरानी ship का निर्माण कर रही है।
इसे कोचीन शिपयार्ड द्वारा और डीआरडीओ की सहायता से बनाई जा रही है।

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