चर्चा में क्यों है:-
भारत के 4 नए आर्द्रभूमि को रामसर साइट का दर्जा मिला। रामसर कन्वेंशन द्वारा अंतरराष्ट्रीय महत्व के आर्द्र भूमि के संरक्षण के लिए इसकी घोषणा की गई। भारत में कुल रामसर स्थल की संख्या 46 हो गई। इससे पहले वर्ष 2020 में 14 आर्द्र भूमि को रामसर स्थल में शामिल किया गया था।
2 फरवरी को विश्व आर्द्र भूमि संरक्षण दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2021 का थीम- “Wetlands and Water” था।
रामसर के बारे में जानकारीयां:-
आर्द भूमि संरक्षण हेतु 2 फरवरी 1971 के ईरान के रामसर शहर में सम्मेलन हुआ। इसमें यह तय किया गया की पर्यावरण संरक्षण एवं संतुलन तथा जैव विविधता को बनाए रखने के लिए सभी देश विचार विमर्श एवं सहयोग का एक ढांचा तैयार करें और उस पर अमल करें । यह समझौता 1975 से प्रभावी हुआ। भारत इसमें 1982 को शामिल हुआ
आर्द्र भूमि :- ऐसा जलीय एवं शुष्क स्थलीय क्षेत्र है जहां जल अपने आसपास के पर्यावरण तथा संबंधित पौधों, पशु, पक्षियों को नियंत्रित करने वाला प्राथमिक कारक हो ऐसे नमी या दलदली भूमि को आर्द्र भूमि कहा जाता है। यह आर्द्र भूमि प्राकृतिक एवं मानव निर्मित दोनों तरह के हो सकते हैं।
अब तक 2400 से अधिक अंतरराष्ट्रीय महत्व के आर्द्रभूमि को रामसर स्थल में शामिल किया गया। पहला रामसर स्थल ऑस्ट्रेलिया के कोबोर्ग प्राय द्वीप था। जोकि 1974 में शामिल हुआ।
भारत का पहला आर्द्र भूमि स्थल चिल्का झील (उड़ीसा )1981 में शामिल हुआ। भारत का सबसे बड़ा आर्द्रभूमि स्थल सुंदरवन डेल्टा एवं सबसे छोटा आर्द्रभूमि स्थान रेणुका वेटलैंड (हिमाचल प्रदेश) है। भारत में सबसे अधिक रामसर स्थल उत्तर प्रदेश(8) में है । विश्व में सबसे अधिक रामसर स्थान यूके(UK, 175) तथा मेक्सिको(174) में है।
भारत के 4 नए रामसर स्थल के बारे में जानकारी:-
4 नए रामसर स्थल में से दो रामसर स्थल हरियाणा तथा दो गुजरात राज्य से हैं । गुजरात में कुल रामसर स्थलों की संख्या अब 3 हो गई है, इससे पहले नालसरोवर को रामसर स्थल में शामिल किया गया।
(1) भिंडभास वन्य जीव अभ्यारण (झज्जर, हरियाणा) – यह मानव निर्मित मीठे पानी का झील है। यहां 250 से अधिक विभिन्न तरह के पक्षियों का निवास केंद्र है! 10 से अधिक संकटग्रस्त जीव प्रजाति यहां रहते हैं। इसे 2009 में वर्ड सेंचुरी बनाया गया।यहां रहने वाले प्रमुख जीव Egypt vulture, Steppe Egle, पलाश मछली आदि है।
(2) सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान (गुरुग्राम, हरियाणा) यहां पर 220 से अधिक प्रजाति के पक्षियों का निवास स्थान है। यहां पर मध्य एशिया से शीत ऋतु में पक्षी आते हैं एवं निवास करते हैं।
(3) बाधवाना आर्द्रभूमि बड़ौदा(गुजरात) – यहां पर 80 से अधिक प्रजाति के जीव निवास करते हैं! यहां पर पक्षी मध्य एशिया से शीत ऋतु में आते हैं।
(4) थाल क्षील आर्द्रभूमि मेहसाना(गुजरात) – यह एक मानव निर्मित आर्द्रभूमि है यहां पर 320 किस्म के पक्षी प्रजाति निवास करते हैं।
आर्द्र भूमि से होने वाले फायदे :-
• आर्द्रभूमि को रामसर स्थलों में शामिल होने से World Wide funds for nature से फंड की प्राप्ति होती है तथा आर्द भूमियों को संरक्षण भी प्राप्त होता है।
• जैव विविधता पर्यावरण संतुलन एवं संरक्षण को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
• यह जलस्तर को बनाए रखने तथा जल की स्वच्छ करने का भी काम करता है।
• आर्द्रभूमि से अपरदन नियंत्रण तथा जलवायु का नियमन भी होता है।
• आर्द्रभूमि से हमें भोजन सामग्री तथा फाइबर भी प्राप्त होता है।
• इसके समीप रहने वाले लोगों की इस पर निर्भरता भी होती है ,जैसे पानी, फल, सिंघाड़ा की प्राप्ति ,मछलियों की प्राप्ति तथा रेशों की प्राप्ति से अपना जीविका चलाना।
• आर्द्रभूमि कुल उपलब्ध भूमि का बहुत ही कम क्षेत्रफल पर होते हुए भी विश्व के काफी बड़ी संख्या में मौजूद वनस्पति वन्यजीव तथा जीवो को प्रभावित करता है।
• इसका संरक्षण पर्यावरण एवं जलवायु नियमन के लिए अत्यंत आवश्यक है।