मानव जीवन में नदियों का महत्वपूर्ण स्थान आरंभ से ही रहा है, मीठे जल का यह प्राकृतिक स्रोत है। इसके साथ ही नदियों का उपयोग सिंचाई, मछली पकड़ने के लिए ,परिवहन और आज के समय में बिजली उत्पादन के लिए भी किया जाता है ।
भारत में करीब 400 नदियां है। इन्हीं में एक है भारत की सबसे लंबी ,बड़ी और पवित्र माने जाने वाली नदी है गंगा।
गंगा नदी का महत्व प्राचीन काल से ही रहा है प्राचीन काल में इसके तटो पर अनेक बड़े शहरों का विकास हुआ। गंगा नदी को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र और एक देवी के रूप में माना जाता है। गंगा नदी को देवनदी, मंदाकिनी, भागीरथी, विष्णुपदी, जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है।
मगध जैसे बड़े साम्राज्य की स्थापना के पीछे गंगा की उपजाऊ भूमि, पानी स्रोत एवं परिवहन सुविधा का महत्वपूर्ण योगदान रहा, गंगा एवं उसकी सहायक नदी भारत के करीब एक चौथाई से अधिक (8,62,769sq km) क्षेत्रफल को सिंचित करता है तथा करोड़ों लोग इसके तटों पर निवास करते हैं।
गंगा नदी भारत की पहली और दुनिया के 34वीं सबसे लंबी नदी है इसकी कुल लंबाई 2525 किलो मीटर है । 2008 में गंगा को भारत की राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया।
गंगा नदी का उद्गम स्रोत:-
सामान्यता ऐसा माना जाता है की गंगा नदी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री (गौमुख ) नामक स्थान से निकलती है परंतु वास्तविकता कुछ और है यहां से भागीरथी नदी निकलती है ।
उत्तराखंड के 2 भाग गढ़वाल और कुमाऊं में से गढ़वाल में स्थित बद्रीनाथ में सतोपन्थ हिमानी से दो नदी निकलती है धौली गंगा और विष्णु गंगा । दोनों नदी विष्णुप्रयाग में आकर मिल जाती है जो कि आगे अलकनंदा के नाम से बहती है ।अलकनंदा नदी आगे जाने पर इसमें नंदाकिनी नदी नंदप्रयाग के पास आकर मिलती है। फिर अलकनंदा आगे बढ़ती है तो इसमें कर्णप्रयाग के पास पिंडार नदी आकर मिलती है। आगे बढ़ने पर अलकनंदा नदी में रुद्रप्रयाग के पास केदारनाथ से आने वाली मंदाकिनी नदी मिलती है ।अभी भी यह नदी अलकनंदा के नाम से ही आगे बढ़ती है। देवप्रयाग में उत्तरकाशी के गंगोत्री ( गौमुख ) से निकलने वाली भागीरथी नदी आकर अलकनंदा से मिलती है और यहां से गंगा के नाम से दोनों नदी आगे बढ़ती है।
Note:- नदियों के मिलन स्थल को प्रयाग कहा जाता है ऊपर के पांच प्रयाग को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। जब 2 नदी मिलती है तो सामान्यतया बड़ी और गहरी नदी के नाम से आगे बढ़ती है।
गंगा नदी के संगम (समुद्र में मिलना) :-
हरियाणा के अंबाला शहर सिंधु नदी तंत्र एवं गंगा नदी तंत्र के बीच जल विभाजक (उच्च भूमि) का काम करता है। गंगा हरिद्वार में पर्वतीय क्षेत्रों को छोड़ मैदानी भागों में प्रवेश करती है फिर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से कई सहायक नदियों को अपने साथ ले जाते हुए पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है । गंगा की सबसे अधिक लंबाई (1000km) उत्तर प्रदेश में है । पश्चिम बंगाल में फरक्का में गंगा दो भागों में बंट जाती हैं एक मुख्यधारा गंगा और दूसरी भागीरथी जोकि हुगली के नाम से बढ़ती है।
हुगली नदी आगे बढ़ती हुई सागर द्वीप के पास बंगाल की खाड़ी में गिरती है । इसकी मुख्यधारा गंगा आगे बांग्लादेश की ओर बढ़ती है। बांग्लादेश में प्रवेश करने से पूर्व भारत और बांग्लादेश की सीमा पर फरक्का बैराज के माध्यम से इसके बहाव को सिल्ट मुक्त (गाद, रेत) करने के लिए फीडर नहर ( वैसा नहर जो एक नदी के पानी को दूसरी नदी में ले जाता है ) के माध्यम से हुगली नदी की ओर मोड़ दिया जाता है। बांग्लादेश में गंगा पद्मा के नाम से जानी जाती है गोआलुन्डो घाट के पास ब्रह्मापुत्र के सबसे बड़ी वितरिका जमुना पद्मा से आकर मिलती है और आगे यह पद्मा के नाम से ही जाती है ।
चांदपुर जिला के पास ब्रह्मापुत्र की दूसरी वितरिका मेघना पद्मा नदी से मिलती है और यहां से आगे मेघना के नाम से बढ़ती है और बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाती है । मेघना और पद्मा संयुक्त रुप से दुनिया के तीसरी सबसे बड़ी नदी बनती है समुद्र में पानी छोड़ने की दृष्टि से ,यह प्रति सेकंड 10,86,500 क्यूबिक फीट पानी छोड़ती है। मेघना नदी बंगाल की खाड़ी में मिलने से पूर्व अपने द्वारा लाए गए अवसाद के जमाव के कारण कई धाराओं में बैठ जाती है और एश्चुअरी (ज्वारनदमुख) का निर्माण करती है । जहां पर खारे पानी और मीठे पानी मिलते हैं, यह आंशिक रूप से बंद होता है।
गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदीयां :-
गंगा नदी में उत्तर तथा दक्षिण दोनों दिशा से सहायक नदी आकर मिलती है।
दक्षिण दिशा से मिलने वाली प्रमुख नदी –
यमुना नदी गंगा की सबसे लंबी सहायक नदी है, यह नदी टिहरी गढ़वाल के बंदरपूंछ श्रेणी के यमुनोत्री हिमानी से निकलती है और प्रयागराज में गंगा से मिल जाती है ।इसकी प्रमुख सहायक नदी चंबल, बेतवा, केन ऋषि गंगा और सिंध है। इसके किनारे बसे प्रमुख शहर दिल्ली, मथुरा, आगरा, फरीदाबाद, पानीपत है।
Note:- प्रयागराज में तीन नदी गंगा ,यमुना और सरस्वती का मिलन स्थल है, ऐसा माना जाता है की पहले के समय में सरस्वती नदी बहती थी जो आज धरती के नीचे बहती है और प्रयागराज में आकर मिलती है।
तमसा नदी :- यह मध्य प्रदेश के कैमूर पहाड़ियों में स्थित तमसा कुंड जलाशय से निकलती है और प्रयागराज के समीप सिरसा में गंगा नदी से मिलती है।
सोन नदी :- यह नदी सोनभद्र जिला में अमरकंटक की पहाड़ी से निकलती है और पटना के आसपास गंगा नदी से मिल जाती है। पहले के समय में इसके रेत में सोने के कण पाए जाते थे इसलिए इसे स्वर्ण नदी भी कहा जाता है ।
पुनपुन नदी :- यह झारखंड के पलामू जिले के छोटा नागपुर के पठार से निकलती है और पटना के फतुहां में गंगा नदी से मिल जाती है।
गंगा में उत्तर दिशा की ओर से मिलने वाली प्रमुख नदी:-
रामगंगा :- यह उत्तराखंड के पहाड़ी में स्थित दूनागिरी के प्राकृतिक जल स्रोत से निकलती है और यह कन्नौज के निकट गंगा नदी में मिलती है । यह भारत के पहले राष्ट्रीय उद्यान जिम कार्बेट से होकर बहती है ।
गोमती :- यह उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिला में स्थित फुलहर झील से होता है और यह गाजीपुर के कैथी के निकट गंगा नदी में मिलती है।
घाघरा :- यह तिब्बत के मानसरोवर के निकट मपचाचुन्ग हिमानी से निकलती है और बिहार के छपरा जिला में गंगा नदी में मिलती है। इसी नदी को सरयू नदी के नाम से भी जाना जाता है इसी के तट पर अयोध्या शहर बसा हुआ है।
गंडक :- यह तिब्बत नेपाल सीमा पर स्थित धौलागिरी पर्वत श्रेणी से निकलती है और पटना के सोनपुर में गंगा नदी में मिलती है।
कोसी नदी:- यह नदी 7 धाराओं से मिलकर बनी है इसके मुख्यधारा अरुण माउंट एवरेस्ट के गोसाई धाम चोटी से निकलती है और बिहार में कटिहार जिले के कुर्सेला में गंगा नदी से मिल जाती है । इसे बिहार का अभिशाप भी कहा जाता है यह नदी हर साल बाढ के माध्यम से उत्तर बिहार में भयंकर तबाही मचाती है यह नदी मार्ग परिवर्तन के कारण भी विख्यात है।
महानंदा:- यह नदी पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग पहाड़ी से निकलती है परंतु भारत में गंगा से ना मिल कर बांग्लादेश के नवाबगंज जिले में गंगा से मिलती है। यह गंगा से मिलने वाली भारत की अंतिम नदी है।
गंगा की वितरिका हुगली में दो प्रमुख सहायक नदी दामोदर और रूपनारायण है।
दामोदर नदी :- झारखंड के छोटा नागपुर पठार से निकलती है और हुगली नदी में मिलती है इसे पहले बंगाल का शोक कहा जाता था, इसी पर भारत के पहले नदी घाटी परियोजना दामोदर घाटी परियोजना है।
रूपनारायण नदी :- बंगाल के पुरुलिया जिला के छोटा नागपुर के पठार से निकलती है और हावड़ा जिला में हुगली नदी से मिलती है ।
गंगा के किनारे बसे प्रमुख शहर:-
ऋषिकेश, हरिद्वार ,प्रयागराज, वाराणसी ( विश्व के सबसे प्राचीन शहरों में से एक), मिर्जापुर गाजीपुर ,फर्रुखाबाद, नरोरा , कानपुर, शुक्लागंज ,चकेरी, फतेहगढ़ ,कन्नौज, बक्सर, बलिया , मुंगेर ,भागलपुर ,पटना, बेगूसराय साहिबगंज ,कोलकाता , हावड़ा (हुगली नदी) आदि।
गंगा नदी पर बने प्रमुख परियोजनाएं :-
फरक्का बैराज :- यह बैराज 1975 में बनकर तैयार हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य हुगली नदी पर स्थित कोलकाता बंदरगाह को गाद की समस्या से छुटकारा दिलाना, इसके लिए मुख्य गंगा नदी की धारा को फीडर नहर के माध्यम से हुगली नदी की ओर मोड़ दिया गया। इससे प्रयागराज हल्दिया अंतर्देशीय- 1 जल मार्ग में पानी की कमी नहीं होती है । फरक्का सुपर थर्मल पावर स्टेशन को जल के सुविधा यहीं से प्राप्त होती है। गर्मी के मौसम में नदी में पानी कम होने से हुगली नदी में पानी के बहाव को नियंत्रण में रखने के लिए मुख्य गंगा की काफी मात्रा में पानी हुगली की ओर मोड़ दी जाती है और इससे बांग्लादेश में पीने के पानी में नमक की मात्रा बढ़ जाती है और मछली पालन नाव परिवहन की सुविधा भी प्रभावित होती है, जिससे भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद उत्पन्न हो गया ,जोकि काफी समय तक चला। 1996 भारत और बांग्लादेश के सरकार ने फरक्का जलसंधि के माध्यम से इस विवाद को सुलझाया।
टिहरी डैम :- यह डैम भागीरथी नदी पर स्थित है यह विश्व का पांचवा तथा भारत का सबसे ऊंचा डैम है । यह उत्तराखंड के टिहरी में स्थित यह डैम 2006 में बनकर तैयार हुआ , इसकी लंबाई 575 मीटर ऊंचाई 261 मीटर है।
भीमगोड़ा बैराज:- यह उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगा नदी पर स्थित है, प्रारंभ में यह बैराज अंग्रेजों के काल में 1840 से 54 के बीच बनकर तैयार हुआ ,इससे ऊपरी गंगा नहर में पानी दिया जाता है । इसी के पास में नील धरार पक्षी अभ्यारण है बाद में 1979 से 83 के बीच इसे फिर से बनाया गया।
पशुलोक बैराज:- यह ऋषिकेश में गंगा नदी पर स्थित है, 1980 में बनकर तैयार हुआ । इसके माध्यम से पानी को चिल्ला पावर प्लांट में भेजा जाता है।
ऊपरी गंगा नहर :- हरिद्वार के पास गंगा नदी से निकलकर उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ तक जाती है ।इसका प्रारंभिक निर्माण 1842 से लेकर 1854 के बीच हुआ।
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के लगभग 10 जिलों के लगभग 9000 स्क्वायर किलोमीटर भूमि को सिंचित करता है ।
निचली गंगा नहर :- यह यूपी के बुलंदशहर के नरोरा नामक स्थान से निकलती है। इसका निर्माण 1972 से 78 के बीच में हुआ।
यूपी के करीब 10 जिलों के 4500sq km भूमि को सिंचाई की सुविधा प्रदान करता है।
सुंदरवन डेल्टा :- भारत और बांग्लादेश के बीच विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा सुंदरवन डेल्टा स्थित है।
डेल्टा क्या होता है- यह वैसा भूभाग होता है जो नदियों द्वारा लाई गए अवसाद, गाद, रेत के माध्यम से निर्मित होती है। नदियां जब बहती है तो वह पर्वतीय एवं मैदानी भागों में कटाव कर अपने साथ मिट्टी, कंकर एवं अन्य अवसाद को लेकर बहती है, जिसे वह विशेषकर अपने मुहाने (संगम ) पर जमा कर देती है।
सुंदरबन डेल्टा करीब 10000 Sq/km क्षेत्रफल पर फैला हुआ है जिसका करीब 6000 स्क्वायर किलोमीटर का क्षेत्रफल बांग्लादेश तथा 4000 स्क्वायर किलोमीटर का क्षेत्रफल भारत में पड़ता है।
यहां पर विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों एवं जीवो के निवास स्थान है, यहीं पर विश्व प्रसिद्ध एवं भारत के राष्ट्रीय पशु बंगाल टाइगर पाया जाता है । यहां पर सुंदरी के पेड़ की अधिकता पाये जाने के कारण सुंदरवन नाम पड़ा। 1973 में इसे टाइगर रिजर्व ,1984 में नेशनल पार्क घोषित किया गया तथा 1987 में भारत के क्षेत्र में पढ़ने वाले सुंदरबन को वर्ल्ड हेरिटेज साइट यूनेस्को द्वारा घोषित किया गया । यह भारत में हुगली नदी के मुहाने से लेकर बांग्लादेश के मेघना नदी के मुहाने तक 260 किलोमीटर की लंबाई में फैला हुआ है।
गंगा एवं तटवर्ती क्षेत्रों में 140 मछलियों की प्रजाति , 35 सरीसृप तथा 42 स्तनधारी की प्रजाति पाए जाते हैं गंगा में दुर्लभ मीठे पानी के डॉल्फिन एवं सार्क पाया जाता है ।
गंगा नदी का उद्गम पर्वतीय क्षेत्रों से होने के कारण इसका पानी काफी शुद्ध होता है तथा इसमें जीवाणु भोजी ( Bacteriophage) नामक विषाणु पाया जाता है ,जोकि हानिकारक सूक्ष्म जीव एवं जीवाणुओं को नष्ट कर देता है ।
फिर भी आज के समय में गंगा काफी प्रदूषित हो गई है जिसका मुख्य कारण इसके तटों पर बसने वाले शहर के उद्योगों से एवं घरों से निकलने वाले गंदा पानी है, इसके साथ ही धार्मिक परंपरा, कृषि में रसायनों का प्रयोग एवं अन्य मानवीय कारण इसके प्रदूषण का मुख्य कारण है।
गंगा नदी को साफ रखने और बचाव की कोशिस –
गंगा को स्वच्छ करने के लिए सरकार के साथ-साथ लोगों को भी इस क्षेत्र में आगे आना होगा।
सरकार ने प्रदूषण को काम करने के लिए 2014 में जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा कायाक्लप मंत्रालय के अंतर्गत नमामि गंगे परियोजना को आरंभ किया।
2016 में राष्ट्रीय गंगा स्वच्छ मिशन के तहत भी गंगा प्रदूषण को कम करने के लिए तत्परता दिखाई है ।
सरकार इस क्षेत्र में कई तरह की नीतियां बना रही है एवं उस पर खर्च भी कर रहे हैं। हम सभी लोगों को इसके प्रति ध्यान देना चाहिए ताकि गंगा नदी की खूबसूरती ,इसके महत्व एवं इसकी पवित्रता बनी रहे।
Bahut khub bhaiya ji…..