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IAS सुहास LY और बैडमिंटन जानें IAS सुहास के संघर्ष व कामयाबी की कहानी

नमस्कार दोस्तों हमें पता है, कि ग्रीष्मकालीन (Summer) पैरालंपिक का 16वां संस्करण का प्रारंभ 24 अगस्त 2021 को हो चुका है। पैरालंपिक की खास बात यह है कि इसमें भाग लेने वाले ज्यादातर खिलाड़ी को किसी ना किसी प्रकार की शारीरिक विकलांगता (Physical disability) होती है। यह पैरा ओलंपिक जापान के टोक्यो शहर में हो रहा है। इस पैरालंपिक में भारत के 54 खिलाड़ियों ने 9 खेलों के लिए भाग लिया।

इन्हीं खिलाड़ियों में एक हैं, गौतमबुद्ध नगर (Greater Noida) के जिलाधिकारी (DM) सुहास लालीनाकरे यथिराज। इनका वर्तमान में पैरा बैडमिंटन में स्थान(world ranking) विश्व में नंबर 2 पर है।

सुहास पैरालंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले नौकरशाह (Bureaucrat) बन गए हैं। सुहास ने पुरुष सिंगल बैडमिंटन के सेमीफाइनल में इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतीवान (fredy setiawan) को 21-9, 21-15 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। उनका मुकाबला स्वर्ण पदक के लिए रविवार को फ्रांस के लुकास मजूर (Lucas Mazur) से होगा।

नोएडा के डीएम सुहास एलवाई ने टोक्यो पैरालिंपिक में इतिहास रच दिया है। उन्होंने रविवार को पुरुषों की एकल SL4 इवेंट में फ्रांस के टॉप सीड शटलर लुकास मजूर से कड़े मुकाबले में 21-15, 17-21, 15-21 से हार का सामना करना पड़ा। भारत का यह कुल 18वां मेडल है। उसमें 4 गोल्ड, 8 सिल्वर और 6 ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं।

सुहास ने मैच पहला गेम 21-15 से अपने नाम किया। अगले दोनों गेम में उन्होंने विपक्षी को कड़ी टक्कर दी, लेकिन उन्हें मैच गंवाना पड़ा। लुकास ने 21-17 और 21-15 से दोनों गेम जीतते हुए गोल्ड मेडल जीत लिया। सुहास को रजत पदक मिला।

सुहास L Y के बारे में (About Suhas LY) :-

Suhas L Y का पूरा नाम Suhas Lalinakere Yathiraj है। सुहास एल वाई का जन्म 2 जुलाई 1983 को कर्नाटक के हासन जिला में हुआ। इनके पिता का नाम यथिराज लालीनाकरें तथा माता का नाम जयश्री था। बचपन से ही इन के दाएं पैर में थोड़ा परेशानी (physical disability) है। उनकी प्राथमिक शिक्षा हसन जिले में ही डुड्ढा नगर में हुआ। पिता सरकारी नौकरी में थे इसलिए स्थानांतरण (transfer) होने के कारण इनका शिक्षा- दीक्षा भी कई शहरों में हुआ। माध्यमिक शिक्षा (secondary education) D.V.S इंडिपेंडेंट कॉलेज शिवामोगा कर्नाटक से हुआ तथा अपना ग्रेजुएशन NIT ( National Institute of Technology) सुरथकाल में कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग (CSE) से 2004 में फर्स्ट क्लास से पास किया ।

उनका कहना है कि यह आज जो भी है अपने पिता के सीख, आशीर्वाद तथा ईश्वर की कृपा से हैं। इनके पिता बचपन से ही इन्हें उत्साहित करते रहते थे। 2005 में इनके पिता का मौत हो जाना इनके लिए किसी सदमे से कम नहीं था। पिता द्वारा दिया गया आत्मविश्वास, सीख तथा अपनी मेहनत के बल पर 2007 में यूपीएससी (UPSC) परीक्षा पास कर IAS ऑफिसर बने। उनका पहला पोस्टिंग उत्तर प्रदेश के आगरा जिला में हुआ

इनकी शादी 2004 बैच के PCS ( Public service commission) अधिकारी रितु साह से हुई । जोकि 2019 की मिस इंडिया विजेता हैं। इन्हें आम चुनाव में सर्वश्रेष्ठ मतदाता जागरूकता के रूप में सम्मानित भी किया गया है। बैडमिंटन के प्रति सुहास का लगाव बचपन से ही था और बचपन से ही खेलते थे । परंतु कभी इस खेल को पेशेवर (Professional) खिलाड़ी के रूप में खेलने के बारे में नहीं सोचा था। इसकी शुरुआत 2016 में हुई उस समय सुहास आजमगढ़ के जिलाधिकारी थे। उसी समय उनकी मुलाकात राज्य स्तरीय टूर्नामेंट के कोच गौरव खन्ना से हुई। सुहास, बैडमिंटन के प्रति लगाव के कारण खिलाड़ियों के साथ खेलने लगे और अच्छा प्रदर्शन करते हुए कुछ खिलाड़ियों को पराजित भी किया। इससे प्रभावित होकर कोच गौरव खन्ना ने पैरा ओलंपिक में खेलने के लिए कहा। इस पर उन्होंने मना कर दिया फिर 5 -6 महीने बाद पैरा बैडमिंटन के बारे में पूछने के लिए सुहास ने गौरव खन्ना को फोन किया। गौरव खन्ना ने इसके बारे में जानकारी देते हुए उन्हें 2016 में ही हो रहे चीन के बीजिंग में एशियन बैडमिंटन चैंपियनशिप में भाग लेने को कहा और वह इस तरह चीन पहुंच गए और वहां पर अपने पहले ही टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक जीता। इसी पदक के साथ इनकी पहचान राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हो गई । इसके बाद इन्होंने अनेक टूर्नामेंट में भाग लिया और पदक जीतते रहे। 2018 में वाराणसी में हुए नेशनल पैराबेडमिंटन में खिताब जीतकर राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बने। टोक्यो पैरा ओलंपिक में चयनित होने पर, प्रैक्टिस गोपीचंद अकैडमी ग्रेटर नोएडा में करते थे। वर्तमान में इनके कोच इंडोनेशिया के दुथारि गीगी बेलात्मा हैं। सुहास जिलाधिकारी जैसे जिम्मेदार एवं महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए अपने खेल के साथ साथ अपनी जिम्मेदारी को भी अच्छे ढंग से निभाया है। प्रशासनिक अधिकारी के रूप में इनकी क्षमता और कुशलता का परिचय कुंभ का मेला ही है। प्रयागराज में 2019 में आयोजित कुंभ के मेले के समय सुहास प्रयागराज के ही जिलाधिकारी थे और किस तरह से उन्होंने इतनी भारी-भरकम भीड़ को संभालते हुए व्यवस्थित रूप से बिना कोई हंगामा के कुंभ को संपन्न कराया इसकी प्रशंसा देश के साथ साथ विदेश में भी हो रही है।

सुहास कहते हैं, कि बैडमिंटन के लिए प्रैक्टिस दिन भर प्रशासनिक एवं निजी कामों मे व्यस्त होने के कारण रात के समय किया करते थे। उनका कहना है, प्रशासनिक सेवा में होते हुए किसी अन्य काम या खेल के लिए तीन-चार घंटा का समय निकालना बड़ा ही मुश्किल और कष्टदायक होता है। परंतु अगर आपको उस काम या खेल के प्रति लगाव , दीवानापन हो तो वह आपको कष्ट के बजाए उत्साहित करता है। यही उनके साथ बैडमिंटन को लेकर होता है । जब वह बैडमिंटन कोर्ट में जाते हैं तो उन्हें ताजगी और उत्साह महसूस होती है।

पैरालंपिक को लेकर जब उनसे मीडिया ने पूछा तो उन्होंने बताया पैरा ओलंपिक जैसे खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करना गर्व और गौरव की बात है। वह जानते है कि इस खेल में एक से एक बेहतरीन खिलाड़ियों से उनका मुकाबला होगा। पर उन्हें उम्मीद है कि वह पदक जरूर जीतकर आएंगे ।

उनके द्वारा जीते गए पदक:-

2016 – एशिया बैडमिंटन चैंपियनशिप- बीजिंग – Gold

2017 -तुर्की – ओपन पारा बैडमिंटन- gold (men’s single) Gold (men’s double)

2018 -वाराणसी- नेशनल पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप – Gold

2019- तुर्की -ओपन पैरा बैडमिंटन- gold

2018 – इंडोनेशिया -ओपन पैरा बैडमिंटन – bronze

2018 -तुर्की- ओपन पराबैडमिंटन- सिल्वर

2019 युगांडा ओपन परा बैडमिंटन – bronze

2019 थाईलैंड ओपन पैरा बैडमिंटन- bronze

2019 चाइना -ओपन- pairabadminton- bronze

2019 डेनमार्क ओपन पैरा बैडमिंटन- bronze

2019- जापान ओपन पैरा बैडमिंटन- bronze

सुभाष को मिला पुरस्कार तथा सम्मान

2016 उत्तर प्रदेश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान यश भारती से सम्मानित किया गया।

3 दिसंबर 2016 को बेस्ट पारा स्पोर्ट्स अवॉर्ड दिया गया।

Note :- 3 दिसंबर को विश्व दिव्यांगता दिवस मनाया जाता

2017 में राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर 29 दिसंबर को देश के लिए अंतरराष्ट्रीय पदक लाने के लिए विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया।

इसके अलावा प्रशासनिक क्षेत्र में भी कई पुरस्कार मिले।

2016 में इनका नामांकन प्रधानमंत्री जनधन योजना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए किया गया था। इन्हें राजस्व विभाग UP द्वारा प्रशासनिक क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए भी सम्मानित किया गया। यूपी के राज्यपाल द्वारा चुनाव से संबंधित कार्यों में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए भी सम्मानित किया गया है।

सुहास प्रशासनिक सेवा एवं खेल के अलावा लोगों के सेवा के लिए भी तत्पर रहते हैं। लोगों की सेवा के लिए कई मोबाइल ऐप को भी विकसित किया है।

जैसे-

कुपोषण का दर्पण – अल्प पोषित बच्चों के लिए
प्रेगनेंसी का दर्पण -गर्भवती महिलाओं के लिए

दिव्यांग लोगों को आम चुनाव में सहायता के लिए भी मोबाइल ऐप को विकसित किया है।

सुहास का जन्मभूमि भले ही कर्नाटक रहा हो। परंतु एक तरह से देखा जाए तो इनका कर्मभूमि उत्तर प्रदेश है। प्रशासनिक सेवा में इतने बड़े पद पर रहते हुए भी खेल में इतना बेहतरीन प्रदर्शन करना कोई आसान बात नहीं है। सुहास ने यह साबित कर दिए कि इंसान चाहे तो कुछ भी कर सकता है।

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