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क्यों मनाया जाता है Diwali का त्योहार?|Diwali kyo manaya jata hai

भारतवर्ष में मनाया जाने वाला सभी पर्व में से Deepavali भी एक बहुत ही खूबसूरत त्यौहार है। इसे बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है। ‘दिवाली’ को हम ‘Deepavali’ के नाम से भी जानते हैं।

कार्तिक माघ की अमावस्या की वह रात्रि दियों की रोशनी से जगमगा उठती है। तब से आज तक भारतीय हर साल इस तरह यह दिवाली का त्योहार धूमधाम से मानते हैं। विश्वास है कि “सत्य की हमेशा जीत होती है” और “असत्य का नाश होता है”। हमारे यहां लोग दिवाली आने से कुछ दिन पहले ही घरों, दुकानों के साफ-सफाई स्टार्ट कर देते हैं।

भारत में दिवाली के त्योहार पर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता हैं। हर साल दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं की दिवाली क्यों मनाई जाती है, तो चलिए आज मैं आपको बताती हूं कि दिवाली क्यों मनाई जाती है। महत्व क्या है?

Diwali kyu manaya jata hai

दिवाली का त्योहार कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है इस बार दिवाली 12 नवंबर को मानाई जाएगी। दिवाली के दिन लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है, ऐसा कहा जाता है कि इस दिन लक्ष्मी पूजा करते हैं

तो पूरे साल सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। दिवाली मुस्कुराहट, खुशियां, साफ- सफाई, रंगोली, नए कपड़े, पकवान, पटाखे, और दिए जलाने का त्यौहार है। दिवाली आने से पहले घर, मोहल्ले,बाजार सब कुछ साफ-सुथरा करते हैं और उससे बहुत खूबसूरत तरीके से सजा दिया जाता हैं।

माना जाता है की दिवाली के दिन अयोध्या के राजा श्री राम अपने 14 वर्ष के वनवास के बाद लौटे थे अयोध्या वासियों ने अपने राजा के स्वागत करने के लिए घी के दीपक जलाएं और पूरे अयोध्या को प्रकाशित कर दिया। लोग दिवाली का त्यौहार बड़े हर्षोल्लाह और ढेर सारे मौज मस्ती के साथ मनाते हैं।

लोग अपने घरों के साफ़-सफाई करते हैं,एक दूसरे को गिफ्ट देते हैं और घर पर बहुत ही अच्छे-अच्छे खाने के पकवान भी बनाते हैं। दिवाली में लोग अपने घरों में रंगोली बनाते हैं और अपने घर को दिए से सजा देते हैं।

प्राचीन हिंदू ग्रंथ रामायण में बताया गया है कि कई लोग Deepavali को 14 साल के वनवास के बाद भगवान राम, पत्नी सीता और उनके भाई लक्ष्मण के आगमन के रूप में मनाया जाता है।

अन्य प्राचीन हिंदू महाकाव्य महाभारत के अनुसार कुछ दिवाली को 12 वर्षों के वनवास एवं एक वर्षों के अज्ञातवास के बाद पांडवों के वापसी के प्रतीक में मनाते हैं।

भगवान विष्णु की “पत्नी उत्सव धन और समृद्धि की देवी” लक्ष्मी से जुड़ा हुआ मनाते हैं।

Deepavali के पांच दिन के महोत्सव में देवताओं और असुरों के बीच लक्ष्मी के जन्म दिवस से शुरू होता है उसे Deepavali को विष्णु की बैकुंठ में वापसी के दिन के रूप में मनाते हैं तो श्री लक्ष्मी प्रसन्न रहती है और जो लोग उसे दिन उनके पूजा करता है वह आगे के वर्ष के दौरान मानसिक, शारीरिक सुखों से दूर और सुखी रहता है।

भारत के कुछ पश्चिम और उत्तरी भागों में Deepavali का त्यौहार एक नए हिंदू वर्ष की शुरुआत क्या करती है।

असतो मा सद्गमय ।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतं गमय ॥
ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः।

असत्य से सत्य की ओर ।
अंधकार से प्रकाश की ओर।
मृत्यु से अमरता की ओर।
ओम शांति शांति शांति।

Diwali ka importance

दिवाली मिलन का त्यौहार है, जिसमें सभी अपनों से मिलते हैं, खुशियां मनाते हैं, आज की व्यस्त जिंदगी में त्यौहार का महत्व बढ़ गया है। त्यौहार के कारण सभी अपने परिवार से मिलते हैं, दो पल खुशी से बिताते हैं। जिससे रिश्ते मजबूत होते हैं साथ ही छोटे-छोटे मन मुटाव भी दूर होते हैं।

भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी है

जब भगवान श्री कृष्णा पहली बार गाय को चराने जंगल में गए थे, उसी दिन श्री कृष्णा मृत्यु लोक से प्रस्थान किए थे। एक अन्य कथा के अनुसार जिस दिन श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक असुर का वध करके उसके द्वारा बंदी बनाई गई देव, मानव और गंधर्वों की 16000 कन्याओं को मुक्ति दिलाई थी इसी खुशी में लोगों ने दीप जलाए थे बाद में यह एक परंपरा के रूप में बदल गई। इसलिए भी दिवाली मनाया जाता है।

Diwali me sawdhan rahe

दिवाली में सभी लोग दिवाली की तैयारी में जोरों से लगे हुए हैं हिंदू धर्म में दिवाली का विशेष महत्व है इस दिन मा लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। 12 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी लोग इस दिन अपने घर को सजाएंगे और बहुत तरह के पकवान बनाएंगे।

दिवाली में लोग इस दिन पटाखे जलाना बहुत पसंद करते हैं। लेकिन पटाखों के कारण प्रदूषण फैल जाती है जो हवा को प्रदूषित कर देती है और पर्यावरण पर भी इफेक्ट डालती है। पर्यावरण के अनुकूल पटाखे खरीदनी चाहिए ग्रीन पटाखे बनाने में हानिकारक रसायन का प्रयोग नहीं किया जाता है।

इसमें से कम धुआं निकलता है और शौर भी कम होता है। ग्रीन पटाखे खरीद कर हम पर्यावरण का ख्याल रख सकते हैं, और दिवाली का आनंद भी इतना ही ले सकते हैं।

दिवाली खुशियों के साथ मनायें और कोशिश करके कम से कम जलाए,अगर आप पटाखे जलाते भी है तो उसके लिए समय निर्धारित करें , पूरी रात पटाखे न जलाए पूरी रात पटाखे जलाने के बजाय हम रात में 10 से 11:00 तक ही पटाखे जलाएं क्योंकि इसके बाद बच्चे और बुजुर्ग सोने चले जाते हैं। और पटाखे की आवाज से उन्हें परेशानी भी होती है। ऐसे में हम अपनी के साथ-साथ दूसरों की परेशानी का भी ख्याल रखना चाहिए और सही समय पर पटाखे चलाने चाहिए

Randheer Rawat
Randheer Rawat
नमस्कार दोस्तों, मैं रणधीर रावत Hindiradio.in का Technical Author हूँ. Education की बात करूँ तो मैं एक B.com Graduate हूँ. मुझे नयी नयी चीज़ों को सीखना और दूसरों को सिखाने में बड़ा अच्छा लागता है.
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