आज के समय में ब्रह्मांड से जुड़ा कोई न कोई टॉपिक चर्चा का विषय बना रहता है चाहें वो आकाशगंगा से संबंधित हो या फिर तारामंडल से। आज के इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि ब्रह्मांड क्या है आकाशीय पिंड क्या होते हैं आकाश गंगायें क्या होती हैं और इसके साथ ब्रह्मांड से संबंधित सभी महत्वपूर्ण प्रश्न। तो चलिए आज कुछ नया सीखते हैं।
◆ ब्रह्मांड क्या है?
आकाश की ओर देखने पर जो कुछ भी दिखाई देता है वह ब्रह्मांड का भाग होता है हमारी पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य सभी ब्रह्मांड के भाग हैं किताबों में लिखी गई परिभाषा के अनुसार “आकाश गंगाओं के समूह को ब्रह्मांड कहते हैं या कुछ ऐसा कहें कि सूक्ष्मतम से सूक्ष्मतम अणुओं से लेकर बड़ी से बड़ी अकाश गंगा के समूह को ब्रह्मांड कहते हैं”।
◆ ब्रह्मांड में छोटे-बड़े अनेक तंत्र पाए जाते हैं –
- लघु ब्रह्मांडीय पिण्ड :- इसके अंतर्गत तारा व ग्रहों की चर्चा की जाती है तारे का अपना प्रकाश होता है क्योंकि वह गैसों का बना होता है और उसमें नाभिकीय संलयन की अभिक्रिया होती रहती है जिससे भारी मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है तारे का तापमान प्रकाश उसके तापमान का घोतक होता है इसके विपरीत ग्रहों का अपना कोई प्रभाव नहीं होता बल्कि यह तो दूधिया रंग का दिखाई देता है लेकिन वह भी उसका स्वयं प्रकाश नहीं है।
- विशाल ब्रह्मांडीय पिण्ड : – तारे व ग्रह आपस में मिलकर जिस तंत्र का निर्माण करते हैं उसे तारा ग्रही तंत्र कहा जाता है हमारी पृथ्वी सौरमंडल नामक तारा ग्रही तंत्र का भाग है।
- गति विशाल ब्रह्मांडीय पिण्ड : – अनेक तारा ग्रही तंत्र आपस में मिलकर एक समूह का निर्माण करते हैं इस समूह को आकाशगंगा , निहारिका , Galaxy कहा जाता है हमारा तारा ग्रही तंत्र सौरमंडल जिस आकाश गंगा का भाग है उसे मंदाकिनी कहा जाता है सौरमंडल में मंदाकिनी का जो भाग दिखाई देता है उसे दुग्ध मेखला कहा जाता है।
- आकाशगंगा :- मुख्य रूप से आकाश गंगायें दो प्रकार की होती हैं हमारे ब्रह्मांड में लगभग 100 मिलियन आकाशगंगायें हैं
1. वृत्ताकार आकाशगंगा : – यह ताराग्रही से बनी ऐसी आकाशगंगा होती है जो दिखने में बीच से मोटी व किनारों से चपटी प्रतीत होती है या कुछ ये कहें कि उत्तल लेंस की तरह होती है।
2. सर्पिलाकार अकाशगंगा : – यह अकाश गंगा देखने में ऐसी प्रतीत होती है जैसे एक केंद्र से अनेक भुजाएं घूमती हुई बाहर की ओर निकल रही हों इस आकाशगंगा के केंद्रीय भाग में तारों की संख्या अधिक होती है और इसके केंद्र को बल्ज कहते हैं हमारी मंदाकिनी भी सर्पिलाकार अकाशगंगा का उदाहरण है।
- मंदाकिनी : – हमारा सौरमंडल मंदाकिनी आकाशगंगा में है इसके केंद्र से तीन भुजाएं निकली हुई हैं जिस भुजा में हमारा सौरमंडल है वह बीच में स्थित है व उसका नाम ऑरियन है अंदर वाली का नाम सिंगटेरियस करीना है व बाहर वाली भुजा का नाम पर्सियस है हमारी मंदाकिनी की त्रिज्या 50 हजार प्रकाश वर्ष है और केंद्र से हमारे सौरमंडल की दूरी 30 हजार प्रकाश वर्ष है हमारी मंदाकिनी काल्पनिक अहत के सहारे घूमती है और यह अपना एक चक्कर 225 से 250 मिलियन वर्ष में पूरा करती है जिसे एक ब्रह्मांडीय वर्ष कहा जाता है।
◆ Proxima Century : –
यह मंदाकिनी की ऑरियन भुजा में स्थित तारा है जो हमारे सूर्य के सर्वाधिक निकट है जो लगभग 4.2 प्रकाश वर्ष दूर है।
◆ Dog Star (सायरस तारा) : –
यह भी मंदाकिनी में स्थित एक तारा है लेकिन यह अत्यधिक चमकीला होने के कारण चर्चा में बना रहता है यह हमारे सूर्य का दूसरे नंबर का नजदीकी तारा है।
◆ Andromeda : –
यह एक आकाशगंगा है जो मंदाकिनी के सर्वाधिक निकट है जो लगभग 22 लाख प्रकाश वर्ष दूर है।
◆ तारामंडल : –
तारामंडल तारों का एक समूह है जो विभिन्न प्रकार की आकृतियों के रूप में दिखाई देता है सबसे प्रचलित तारा मंडल सप्त ऋषि तारामंडल है जो सात तारों का समूह है।
◆ ध्रुवतारा : –
वह तारा जो उत्तरी ध्रुव पर 90 डिग्री का कोण बनाता है उसे ध्रुव तारा कहते हैं इस समय जो तारा उत्तरी ध्रुव पर 90 डिग्री का कोण बनाता है उसका नाम पोलरिस – P है जो सूरज से लगभग 100 प्रकाश वर्ष दूर है पोलरिस – P तीन तारों के समूह में से एक है इस तारा समूह का नाम ऊषा माइनर है आज से तीन हजार वर्ष पहले ध्रुव तारे का कार्य बुआन नाम का तारा कर रहा था और आज से पांच हजार वर्ष पश्चात ध्रुव तारे का कार्य अल्डेरामिक तारा करेगा।
◆ नक्षत्र : –
तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है पृथ्वी के चारों ओर इस प्रकार के 2% नक्षत्र होते हैं और चंद्रमा, पृथ्वी का चक्कर पूरा करने में 21 दिन ही लेता है इसलिए चंद्रमा एक दिन में एक नक्षत्र को पूरा करता है।
जैसे :- मेघा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, कृतिका आदि।
◆ राशिचक्र : –
राशि भी तारों के एक समूह को इंगित करती है सूर्य के चारों ओर इस प्रकार के 12 तारा समूह हैं इस प्रकार पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाते हुए एक महीने में एक राशि तथा एक वर्ष में 12 राशि को पार करती है।
◆ प्रकाश वर्ष : –
प्रकाश की गति 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड होती है एक वर्ष में इस गति के साथ प्रकाश जितनी दूरी तय करता है उसे एक प्रकाश वर्ष कहते हैं।
◆ पारसेक : –
हालांकि खगोलीय पिण्डों के बीच की दूरी प्रकाश वर्ष में मापी जाती है किंतु दूरी मापने की सबसे बड़ी इकाई पारसेक है
1 पारसेक = 03.26 प्रकाश वर्ष
◆ ब्रह्मांड की उत्पत्ति : –
ब्रह्मांड की उत्पत्ति के संबंध में इस समय सबसे माननीय मत महा विस्फोटक सिद्धांत है जिसे Bigbang Theory कहा जाता है इस सिद्धांत का प्रतिपादन 1894 में जॉर्ज लेमेंटेयर के द्वारा किया गया था उसके पश्चात 1961 में बैगनर महोदय द्वारा इसकी और व्याख्या की गई।
Bigbang Theory के संबंध में अमेरिकी वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंस ने एक पुस्तक लिखी जिसका नाम “समय का संक्षिप्त इतिहास” है “A Brief History of Time”
◆ स्टीफन हॉकिंस महा विस्फोटक सिद्धांत : –
इस सिद्धांत के अनुसार 15 अरब वर्ष पहले संपूर्ण ब्रह्मांड एक छोटे से बिंदु में समाया हुआ था जिसका नाम विलक्षिता का बिंदू था इससे पहले न ही कोई समय था और न ही कोई वस्तु, स्थान। इसके विस्फोट के पश्चात धीरे-धीरे इसका आकार बढ़ता चला गया। धीरे-धीरे मूल कणों की उत्पत्ति हुई इन कणों से परमाणु और अणुओं का जन्म हुआ और फिर अनेक तारे व ग्रहों का निर्माण हुआ जिसमें हमारे सौरमंडल का निर्माण 4.5 अरब वर्ष पहले हुआ।
◆ दोलन सिद्धांत : –
इस सिद्धांत के प्रतिपादक “ऐलन संडेखा” थे यह सिद्धांत भी महा विस्फोटक सिद्धांत से जुड़ा हुआ है इस सिद्धांत के अनुसार, “ब्रह्मांड निरंतर फैल रहा है और यह एक सीमा तक ही फैलेगा उसके बाद उसमें संकुचन होना शुरू होगा और पुन: यह एक पिंड का रूप ले लेगा इसे महासंकुचन कहा गया महासंकुचन के पश्चात पुन: इसमें महाविस्फोट होगा और फिर पुन: महासंकुचन।
स्टीफन हॉकिंस का मानना है कि आज तक काफी महाविस्फोट व काफी महासंकुचन हो चुके हैं।
◆ ब्रह्मांड की खोज :-
सबसे पहले 140 A.D में टॉल्मी ने खगोलीय पिण्डों के बारे में एक संकल्पना दी जिसके अनुसार सूर्य के साथ – साथ अन्य आकाशीय पिंड भी पृथ्वी का चक्कर लगा रहे हैं इस संकल्पना को “भू – केंद्रीय संकल्पना” कहा जाता है टॉल्मी का मानना था कि मनुष्य ईश्वर की श्रेष्ठतम रचना है चूंकि मनुष्य पृथ्वी पर रहता है इसीलिए सभी आकाशीय पिंडों में पृथ्वी ही श्रेष्ठ है।
◆ नक्षत्र काल : –
किसी ग्रह को सूर्य का एक चक्कर लगाने में जितना समय लगता है नक्षत्र काल कहलाता है।
◆ डॉपलर का प्रभाव : –
डॉपलर प्रभाव के माध्यम से खगोलीय पिंडों के बीच की दूरी बढ़ रही है या घट रही है इस बात का आकलन किया जाता है डॉपलर प्रभाव के अंतर्गत प्रकाश तरंगों की स्पेक्ट्रमी रेखाओं का आकलन किया जाता है और यदि स्पेक्ट्रम रेखाएं Red Shifted हों तो इसका अर्थ है कि खगोलीय पिंड प्रेक्षक से दूर जा रहा है और यदि स्पेक्ट्रम रेखाएं Violet Shifted हों तो इसका अर्थ है कि खगोलीय पिण्ड प्रेक्षक के नजदीक आ रहा है
V I B G Y O R
◆ ब्रह्मांड से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न : –
प्रश्न : 1 किन दो ग्रहों की घूर्णन तथा परिक्रमण की दिशा पश्चिम से पूर्व नही है?
उत्तर : शुक्र तथा यूरेनस
प्रश्न : 2 किस ग्रह के चारों और स्पष्ट वलय हैं?
उत्तर : शनि
प्रश्न : 3 किस ग्रह को पृथ्वी की जुड़वा बहन कहा जाता है?
उत्तर : शुक्र
प्रश्न : 4 किस तिथि को उत्तरी गोलार्ध में सबसे छोटा दिन होता है?
उत्तर : 22 दिसंबर
प्रश्न : 5 किस ने माना था कि पृथ्वी पूरे ब्रहमांड का केंद्र है?
उत्तर : टॉल्मी ने
प्रश्न : 6 किस विद्वान ने पहली बार कहा कि पृथ्वी गोल है?
उत्तर :अरस्तू
प्रश्न : 7 किसके बीच की औसत दूरी को खगोलीय एकक कहा जाता है?
उत्तर : पृथ्वी और सूर्य
प्रश्न : 8 किसने सर्वप्रथम प्रतिपादित किया कि सूर्य हमारे सौरमंडल का केंद्र है और पृथ्वी उसकी परिक्रमा करती हैं?
उत्तर : कॉपरनिकस ने
प्रश्न : 9 कौन सा खगोलीय पिंड रात की रानी कहलाता है?
उत्तर : चंद्रमा
प्रश्न : 10 ऋतुएं किस कारण से बनती है?
उत्तर : सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के परिक्रमण से
प्रश्न : 11 एक ग्रह को अपने कक्ष में सूर्य की अधिकतम दूरी तय करने को क्या कहा जाता है?
उत्तर : अपसौर
प्रश्न : 12 एक ग्रह जिसे नौ ग्रहो की गिनती से निकाल दिया है उस ग्रह का नाम क्या है?
उत्तर : प्लुटो
प्रश्न : 13 कर्क रेखा किस महाद्वीप से नहीं गुजरती हैं?
उत्तर : दक्षिण अमेरिका
प्रश्न : 14 काहीरा का समय ग्रीनविच से 2 घंटे आगे हैं यह स्थित है?
उत्तर : 30° पूर्वी देशांतर पर
प्रश्न : 15 उत्तरी ध्रुव की खोज किसने की?
उत्तर : रोबर्ट पियरी
प्रश्न : 16 उस तारे का नाम क्या है जो सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट है?
उत्तर : प्रोकिसमा सेंचुरी
प्रश्न : 17 दो ग्रह जिनके कोई उपग्रह नहीं है वह हैं?
उत्तर : बुध और शुक्र
प्रश्न : 20 अंतरिक्ष में कुल कितने तारामंडल हैं?
उत्तर : 89
प्रश्न : 21अब तक खोजे गए ग्रहों में सबसे छोटा ग्रह कौन सा है?
उत्तर : बुध
प्रश्न : 22 अब तक खोजे जा चुके तारामंडल में सबसे बडे तारामंडल का क्या नाम है?
उत्तर : हाइड्रा