चर्चा में क्यों ?
भारत के लिए बड़े ही गर्व की बात है कि भारत का यह पुरातन और ऐतिहासिक मंदिर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है।
यह निर्णय 25 जुलाई 2021 को यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति कि 44 में सत्र के ऑनलाइन बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। जो कि चीन में आयोजित हुआ था।
एकमात्र देश जिस ने इसका विरोध किया था वह देश था नॉर्वे।
17 देशों के सहमति के बाद इसे घोषित किया गया।
“रामप्पा मंदिर” तेरहवीं शताब्दी के अनुपम स्थापत्य कला का प्रतीक है जिसका नाम इसके वास्तुकार रामप्पा के नाम पर रखा गया था।
इस मंदिर को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 के लिए यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में एकमात्र नाम नामांकन के लिए प्रस्तावित किया गया था।
मंदिर के बारे में-
- तेलंगाना राज्य में मुलुगू जिले के पालमपेट गांव में एक घाटी में स्थित यह मंदिर वारंगल के अहम मंदिरों में से एक है जो “भगवान शिव” को समर्पित है।
- रामप्पा मंदिर या “रुद्रेश्वर मंदिर” का निर्माण 1213 ईसवी में काकतीय साम्राज्य के शासनकाल में काकतीय राजा “गणपति देव” के एक सेनापति “रचारला रुद्र” ने करवाया था।
- यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहां के स्थापित देवता राम लिंगेश्वर स्वामी है।
- यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसका नाम किसी भगवान पर न रखकर मंदिर का निर्माण करने वाले एक मूर्तिकार(रामप्पा) के नाम पर इसे रामप्पा मंदिर नाम दिया गया था। जिन्होंने 40 वर्षों तक इस मंदिर के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी।
- यह मंदिर 800 साल पुरानी संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है।
- यह मंदिर 6 फिट ऊंचे. “तारे” जैसे मंच पर खड़ा है।
- इस मंदिर की नीव “सैंडबॉक्स तकनीकी” से बनाई गई है जो कि “भूकंप रोधी” होती है।
- इसका फर्श “ग्रेनाइट पत्थरों” से और स्तंभ “बेसाल्ट चट्टानों” से निर्मित है।
- मंदिर का निचला हिस्सा लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है जबकि सफेद गोपुरम को हल्की ईटों से बनाया गया है। यह ईट इस प्रकार की हैं जो पानी पर तैरती हैं।
मंदिर के बारे में कुछ रोचक जानकारियां-
- रामप्पा मंदिर को इंजीनियरिंग का चमत्कार कहा जाता है।
- इस मंदिर के निर्माण में प्रयोग किए गए पत्थर पानी पर तैरते हैं।
- इस मंदिर पर भूकंप का असर नहीं होता है।
- इस मंदिर के स्तंभों से हवा के टकराने पर संगीतमय ध्वनि निकलती है।
- रामप्पा मंदिर शायद विश्व का एकमात्र मंदिर है जिसका नाम भगवान के नाम पर ना होकर उनके शिल्पकार के नाम पर है।
यूनेस्को में शामिल होने से क्या फायदा होगा-
- रामप्पा मंदिर के विश्व विरासत स्थल घोषित होने से अब इसे एक और खास जान पहचान मिलेगी। जिससे देश और दुनिया के लोग इस मंदिर के निर्माण कला सौंदर्य इत्यादि से रूबरू होंगे।
- अब इस मंदिर को खास तरह का संरक्षण प्राप्त होगा जो समय-समय पर इसकी देखरेख और मूलभूत सुविधाओं, फंड इत्यादि से सुसज्जित किया जाएगा ताकि इसकी उपस्थिति और सौंदर्य भविष्य में भी विद्यमान रह सके।
- पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
- भारत की कला और संस्कृति को हमेशा के लिए वैश्विक पहचान मिलेगी।
उम्मीद है आप लोगों को यह जानकारी बहुत अच्छी लगी होगी आप सब अपने दोस्त और परिवार के साथ इस भारत की अद्भुत कला और पुरातन मंदिर को अवश्य देखने जाए।
धन्यवाद !