भारतीय ध्वज संहिता-2002 को 26 जनवरी 2002 से लागू किया गया है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित नियमों का प्रावधान किया गया है।
1- जब भी ध्वज फहराया जाए तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाए। उसे ऐसी जगह लगाया जाए, जहाँ से वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे।
2- सरकारी भवन पर ध्वज रविवार और अन्य छुट्टियों के दिनों में भी सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाता है। विशेष अवसरों पर इसे रात को भी फहराया जा सकता है।
3- ध्वज को सदा स्फूर्ति से फहराया जाए और धीरे-धीरे आदर के साथ उतारा जाए। फहराते और उतारते समय बिगुल बजाया जाता है तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि ध्वज को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।
4- जब ध्वज किसी भवन की खिड़की, बालकनी या अगले हिस्से से आड़ा या तिरछा फहराया जाए तो ध्वज को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।
5- ध्वज का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है तो उसे इस प्रकार फहराया जाएगा कि जब वक्ता का मुँह श्रोताओं की ओर हो तो ध्वज उनके दाहिने ओर हो।
6- ध्वज किसी अधिकारी की गाड़ी पर लगाया जाए तो उसे सामने की ओर बीचोंबीच या कार के दाईं ओर लगाया जाए।
7- फटा या मैला ध्वज नहीं फहराया जाता है।
8- ध्वज केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही आधा झुका रहता है।
9- किसी दूसरे ध्वज या पताका को राष्ट्रीय ध्वज से ऊँचा या ऊपर नहीं लगाया जाएगा, न ही बराबर में रखा जाएगा।
10- ध्वज पर कुछ भी लिखा या छपा नहीं होना चाहिए। जब ध्वज फट जाए या मैला हो जाए तो उसे एकान्त में पूरा नष्ट किया जाए।
यह जानकारी हर किसी के साथ शेयर कीजिए। अपने देश और तिरंगे ध्वज का सदैव सम्मान करें। जय हिंद, जय भारत।