न्यूज़ में क्यों ?
हाल ही के शोध में बताया गया है कि बढ़ती शहरीकरण, street light, सुरक्षा फ्लड लाइट प्रकाश प्रदूषण को बढ़ावा देती है। यह प्रकाश प्रदूषण रात्रिचर प्राणी के जीवन शैली में बदलाव का कारण बनती है।
प्रकाश प्रदूषण एवं इसका प्रभाव:-
कृत्रिम प्रकाशो का अत्याधिक प्रयोग प्रकाश प्रदूषण कहलाता है।
प्रकाश प्रदूषण के घटक-
चकाचौंध(Glare) :- अत्याधिक चमक जो दृष्टि सीमा में रुकावट पैदा करती है।
प्रकाश अतिचार(light trepas) :- जहां आवश्यकता ना हो वहां पर भी प्रकाश का उपयोग करना।
Skyglow(स्काई ग्लो):- आवासीय क्षेत्रों में भी उच्च स्तरीय चमक का होना।
Clutter:- भ्रमित करने वाला कई प्रकाश स्रोतो का समूह।
प्रकाश प्रदूषण का प्रभाव:-
• रात में तारों का चमक धूमील होना, जिससे कई जानवरों का एवं छोटे जीवो का अपना रास्ता भटक जाना।
• ऊर्जा की बर्बादी होना।
• खगोलीय अनुसंधान में बाधा पहुंचना।
• परिस्थितिकी तंत्र में प्रतिकूल प्रभाव पड़ना, मानव एवं अन्य जीवो के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ना।
• Royal Commission on environmental pollution की रिपोर्ट के अनुसार जीव प्राकृतिक प्रकाश के उतार-चढ़ाव से होते हैं। जिससे जीवो का भोजन, गतिविधि, उद्भव , मौसमी प्रजनन, प्रवास आदि भी प्रभावित होता है।
• सड़कों के किनारे जलने वाले स्ट्रीट लाइट से प्रतिदिन ना जाने कितने ही कीड़ों का मौत हो जाता है। जोकि Ecosystem के लिए सही नहीं है, यह कीड़े ही छोटे-छोटे पौधों के प्रजनन में सहायता करते हैं।
• प्रकाश प्रदूषण का मनुष्य पर भी काफी बड़ा प्रभाव पड़ता है। कैंसर, हृदय रोग ,मोटापा ,नींद की बीमारी ,नेत्र रोग, डिप्रेशन जैसे बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
• यह मनुष्य की स्कैंडियम लय ( biological clock) मतलब आंतरिक घड़ी को भी बाधित करता है! इससे मनुष्य का स्वभाव चिड़चिड़ा तथा उसके रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है।
• कृत्रिम प्रकाश का अत्यधिक प्रयोग से कार्बन उत्सर्जन में भी अधिकता होती है।
• अक्टूबर 2020 में फिलाडेल्फिया की एक घटना की जांच से पता चला कि हजारों पक्षी की मौत कृत्रिम प्रकाश की अधिकता के कारण इमारत से टकरा कर हो गई।
• कृत्रिम प्रकाश की अधिकता के कारण जानवरों के दृष्टि क्षमता में कमी हो रही है ! जानवर अपना दिशा निर्देशन आकाशगंगा के माध्यम से करते हैं, जोकि अधिक प्रकाश के कारण सही से देख नहीं पाते है।
• दक्षिण अफ्रीका के एक यूनिवर्सिटी में किए गए शोध के अनुसार दो अलग-अलग क्षेत्र के भिर्गु ( beetals) पर शोध करने से यह पाया गया कि शहर के क्षेत्र में पाया जाने वाला भिर्गु कृत्रिम प्रकाश की ओर आकर्षित होता है।
समाधान:-
यूं तो हमें लगता है कि यह कोई बड़ी समस्या नहीं है! परंतु आज से कुछ समय पहले गिद्धों की समस्या एवं अन्य पक्षियों की समस्या भी हमें छोटी लगती थी। परंतु उसका परिणाम आज सबके सामने है इसलिए इस समस्या को भी भयावह होने से पूर्व इस पर हमें ध्यान देना चाहिए! क्योंकि हर एक जीव तथा मानव भी Ecosystem का महत्वपूर्ण भाग है।
• हमें अनावश्यक प्रकाश के उपयोग को बंद करना होगा! रात्रि के समय कम से कम प्रकाश का उपयोग करना चाहिए।
• स्ट्रीट लाइट के होने पर वाहनों द्वारा अनावश्यक रूप से प्रकाश का उपयोग ना करना।
• औद्योगिक क्षेत्र में जरूरत से अधिक प्रकाश का उपयोग ना करना।
• विज्ञापन में उपयोग होने वाले कृत्रिम प्रकाश को सीमित करना तथा जहां भी प्रकाश का उपयोग हो वहां पर आंतरिक प्रकाश का उपयोग करें। ताकि जिस क्षेत्र को जरूरत है उसी क्षेत्र में प्रकाश मिले , उसके अलावा अन्य क्षेत्र में प्रकाश का मौजूदगी ना हो! और जानवरों को कम से कम प्रकाश प्रदूषण का सामना करना पड़े।
हमें उम्मीद है कि हम सभी इस समस्या पर ध्यान देंगे तथा अभी से ही इसके समाधान पर काम करेंगे।
धन्यवाद !