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नारायण कोटी मंदिर कहाँ है|Where is Narayan Koti Mandir in Hindi

उत्तराखंड के नारायण कोठी मंदिर को “Adopt a heritage program” में शामिल किया गया है।  इसे Social legal research and education Foundation ने गोद लिया ।

नारायण कोटी मंदिर के बारे में :-

यह मंदिर उत्तराखंड में गुप्तकाशी से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  रुद्रप्रयाग गौरीकुंड राज्य मार्ग पर स्थित यह मंदिर विशेष रूप से लक्ष्मी नारायण को समर्पित है। यह एकमात्र ऐसा स्थान है जहां नौ ग्रहों का मंदिर एक साथ है। इसे नौ ग्रहों का प्रतीक भी कहा जाता है । नारायण कुटी मंदिर, मंदिरों का समूह है।  प्राचीन काल में यहां पर 300 से अधिक मंदिर थे जोकि आपदा एवं अन्य कारणों से नष्ट हो गए हैं और अभी वर्तमान में 29 मंदिर बचे हुए। ऐसा माना जाता है इसका निर्माण 9 वी सदी में हुआ था। यहां पर पांडवों की मूर्तियां भी देखी जा सकती है।  

Adopt a heritage program ( धरोहर गोद लेने की कार्यक्रम) :-

इस प्रोग्राम को 27 सितंबर 2017 को प्रारंभ किया था।  

Note:- 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह परियोजना भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ,सांस्कृतिक मंत्रालय, भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण केंद्र शासित एवं राज्य सरकारों का सम्मिलित प्रयास है। इस परियोजना का उद्देश्य धरोहर, स्मारक, प्राचीन विरासत को पर्यटकों के लिए अनुकूल बनाने के लिए अवसंरचना विकास और पर्यटन सुविधाओं का विकास, रखरखाव तथा संचालन करने की योजना है।  

इस परियोजना का नारा अपनी धरोहर- अपना पहचान है।

धरोहर का चुनाव एवं गोद लेने की प्रक्रिया?

स्मारक या विरासत स्थलों की चुनाव के लिए संबंधित राज्य के सरकार उस स्थल को नामित करती है ।पर्यटन फुटबॉल तथा viewers के आधार पर स्थलों का चुनाव किया जाता है।

इन स्थलों को निजी एवं सरकारी  क्षेत्र की कंपनी या व्यक्ति को शुरुआती के 5 सालों के लिए गोद लेता है।गोद लेने वाले कंपनी या व्यक्ति को स्मारक मित्र कहा जाता है।  

स्मारक मित्र का चयन “oversight and vision committee” द्वारा किया जाता है। जिसका अध्यक्षता पर्यटन मंत्रालय सचिव एवं सांस्कृतिक मंत्रालय सचिव करते हैं ।

इसमें कंपनी का चयन vision bidding पर होता है ना की financial bidding पर।

Vision binding – इसमें बोली लगाने वाले को स्मारक एवं पर्यटन स्थल की मौजूदा स्थिति का विस्तृत विश्लेषण कर उसमें अपना एक विजन तैयार कर बोली लगाया जाता है । गोद लेने वाली कंपनी या व्यक्ति इस स्थल के विकास के लिए एवं पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अब संरचना का विकास ,साफ सफाई, पेयजल की सुविधा, रोशनी की व्यवस्था ,पर्यटक के सुविधा के लिए अन्य संरचना का निर्माण करते हैं।  

इसके लिए खर्च कंपनी  Corporate social  Responsibility (CSR) से करती है। CSR – कॉर्पोरेट कंपनी के पास एक फंड होता है । यह औसतन पिछले 3 सालों का लाभ का 2 परसेंट होता है । जिसे कंपनी पब्लिक वेलफेयर के लिए खर्च करती है। निजी व्यक्ति या फाउंडेशन अपना खुद का खर्च करता है। इससे होने वाला आए कंपनी के पास ना जाकर सरकार का होता है।  

इससे होने वाला लाभ:-

◆ इसे प्राचीन स्थलों का विकास ,साफ सफाई, उसके आसपास सुविधाओं का विकास,लोगों के पर्यटन के लिए सुगमता का विकास होगा।  

◆ सांस्कृतिक एवं विरासत मूल्यों का प्रोत्साहन एवं संरक्षण होगा।  

◆ पर्यटन की क्षमता का उपयोग कर रोजगार के नए अवसर का सृजन होगा।  

◆ पर्यटकों के आने से सरकार की आय में वृद्धि होगी।

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