- अस्सलामो_अलैकुम (As-salamu alaykum): यह मुस्लिमो का सबसे आम अभिवादन (greeting) है जो वह एक दुसरे से मिलने पर कहते हैं। इसका मतलब होता है ‘तुमपर सलामती(peace) हो’।
- वालेकुम अस-सलाम (Wa-Alaikum-Salaam): यह सलाम के जवाब में कहा जाता है। इसका मतलब होता है ‘तुमपर भी सलामती(peace) हो’।
- अल्हम्दुल्लिलाह– इसका मतलब होता है “समस्त प्रशंसाएं केवल अल्लाह ही के लिए है”.
- माशाल्लाह: यह शब्द मुस्लिम अपनी ख़ुशी, उत्साह या कोई बेहतरीन चीज़ को देखकर बोलते हैं। इसका मतलब होता है “जो भी अल्लाह चाहे..” या “अल्लाह जो भी देना चाहता है, देता है”। यानि की अल्लाह जिसको चाहता है उसे कोई अच्छी चीज़, ख़ुशी, भलाई या कामयाबी देता है। ऐसा होने पर मुसलिम माशाल्लाह कहते हैं।
- इंशाल्लाह: जब कोई शख्स भविष्य में कोई कार्य करना चाहता है, या उसका इरादा करता है या भविष्य में कुछ होने की आशंका व्यक्त करता है या कोई वादा करता है या कोई शपथ लेता है तो इस शब्द का उपयोग करता है। ऐसा करने का हुक्म कुरान में है। इंशाल्लाह का मतलब होता है ‘अगर अल्लाह ने चाहा’
- सुभानाल्लाह: इसका मतलब होता है ‘पाकी(glory) है अल्लाह केलिए’। एक मुस्लिम अल्लाह की किसी विशेषता, उपकार, चमत्कार इत्यादि को देखकर अपने उत्साह की अभिव्यक्ति के लिए करता है।
- अल्लाहु_अकबर : इसका मतलब होता है ‘अल्लाह सबसे बड़ा(महान) है’।
- जज़ाकल्लाह : इसका मतलब होता है अल्लाह तुम्हे इसका बेहतरीन बदला दे। जब एक मुसलिम किसी दुसरे मुसलिम की मदद या उपकार करता है तो अपनी कृतज्ञता दिखाने के लिए एक मुसलिम दुसरे मुसलिम से यह कहता है।
- अल्लाह_हाफिज़ : अकसर कई मुसलिम एक दुसरे से विदा लेते वक़्त इसका इस्तेमाल करते हैं। इसका मतलब होता है ‘अल्लाह हिफाज़त करने वाला (हाफिज़) है’। इसके पीछे भावना यही होती है की ‘अल्लाह तुम्हारी हिफाज़त करे’।
- सल्ललाहोअलैहिवसल्लम: यह शब्द अल्लाह के आखरी पैगम्बर और रसूल मुहम्मद (सल्लाहो अलैहि वसल्लम) का नाम लेने या उनका ज़िक्र होने पर इस्तेमाल किया जाता है। यह इज्ज़त देने और आप (सल्लाहो अलैहि वसल्लम) पर सलामती भेजने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसका मतलब होता है ‘आप पर अल्लाह की कृपा और सलामती हो।।।